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तेलंगाना में असंवैधानिक आरक्षण बढ़ोतरी रद्द, सुप्रीम कोर्ट ने कहा  50% से अधिक नहीं हो सकता जातिगत आरक्षण

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार द्वारा की गई असंवैधानिक आरक्षण बढ़ोतरी को रद्द करते हुए साफ कहा है कि जातिगत आरक्षण 50% से अधिक नहीं होगा। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 समान अवसर और समानता के अधिकार की रक्षा करते हैं, इसलिए किसी भी राज्य को मनमाने तरीके से आरक्षण सीमा नहीं बढ़ाने दी जा सकती।

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराई बाबासाहेब अम्बेडकर की भावना

न्यायालय ने अपने निर्णय में डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि आरक्षण का उद्देश्य सामाजिक न्याय है, न कि स्थायी विभाजन। अदालत ने कहा कि बाबासाहेब अम्बेडकर ने भी कहा था कि आरक्षण की सीमा तर्कसंगत होनी चाहिए और यह 50% से अधिक नहीं हो सकती।

तेलंगाना सरकार को बड़ा झटका

यह फैसला तेलंगाना सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, जिसने ओबीसी और मुस्लिम समुदायों के लिए आरक्षण बढ़ोतरी का निर्णय लिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद राज्य को अपनी नीतियों की पुनर्समीक्षा करनी होगी।

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