टीबी मरीजों के इलाज में परिवार की भूमिका भी अहम: सीएमएचओ
भोपाल। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत भोपाल में क्षय रोग (टीबी) उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत चिकित्सा और नर्सिंग अधिकारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण आयोजित किया गया। यह प्रशिक्षण 15 से 16 अक्टूबर तक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यालय में संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम का उद्देश्य अधिकारियों को टीबी उन्मूलन अभियान की नीतियों, प्रक्रियाओं और तकनीकी पहलुओं से परिचित कराना था।
प्रशिक्षण का उद्घाटन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. प्रभाकर तिवारी ने किया। साथ ही, राज्य क्षय अधिकारी डॉ. वर्षा राय, गांधी मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. लोकेंद्र दवे, आईआरएल के डॉ. सौम्या धवन, बंसल अस्पताल के डॉ. अश्विनी मल्होत्रा, और एम्स के डॉ. प्रशांत पाठक ने भी प्रशिक्षण सत्रों को संबोधित किया।
प्रशिक्षण में क्या-क्या सिखाया गया?
इस प्रशिक्षण में शहरी आयुष्मान आरोग्य केंद्रों में पदस्थ चिकित्सा और नर्सिंग अधिकारियों को टीबी मरीजों की जांच, उपचार और निक्षय पोर्टल पर मरीजों का पंजीकरण करने की प्रक्रियाएं समझाई गईं।
टीबी परीक्षण के लिए स्पूटम (थूक) कलेक्शन
निक्षय पोर्टल पर प्रिजम्प्टिव आईडी बनाना और मॉनिटरिंग
डॉट्स उपचार की उपलब्धता सुनिश्चित करना
टीबी के लक्षणों की पहचान और ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल का पालन
वयस्क बीसीजी वैक्सीनेशन और सरकारी दिशा-निर्देशों पर चर्चा
समुदाय भागीदारी और जागरूकता पर जोर
राज्य क्षय अधिकारी डॉ. वर्षा राय ने बताया कि टीबी उन्मूलन के लिए समुदाय की भागीदारी बढ़ाना अनिवार्य है। उन्होंने निक्षय मित्रों के माध्यम से मरीजों तक पहुंचने और निक्षय पोषण योजना का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने पर जोर दिया। साथ ही, स्वच्छता और एपिडेमियोलॉजिकल इंटरवेंशन पर भी जागरूकता फैलाने की जरूरत बताई गई।
टीबी उन्मूलन की दिशा में सरकार के प्रयास
भारत में राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम की शुरुआत 1962 में हुई थी, जिसे 1997 में पुनरक्षित राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम (RNTCP) में परिवर्तित किया गया। अब नेशनल स्ट्रैटेजिक प्लान 2017-25 के तहत निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों में टीबी के सभी मरीजों का अनिवार्य पंजीकरण किया जा रहा है।
डॉ. प्रभाकर तिवारी ने कहा कि टीबी के सफल उपचार के लिए मरीज के परिवार की काउंसिलिंग महत्वपूर्ण है। परिवार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मरीज दवाओं और पौष्टिक आहार का नियमित सेवन करे। उन्होंने कहा, “मरीज के लक्षणों को विस्तार से समझना और उसकी पारिवारिक हिस्ट्री का विश्लेषण करना जरूरी है, ताकि बीमारी के सटीक इलाज में कोई चूक न हो।”
निशुल्क जांच और समुदाय सहायता कार्यक्रम
सरकार ने निजी अस्पतालों में भी स्पूटम कलेक्शन की निशुल्क सुविधा प्रदान की है। सरकारी संस्थानों में सीबी नॉट और ट्रू नॉट टेस्टिंग निशुल्क उपलब्ध है। लेटेंट टीबी के मामलों के लिए इगरा टेस्ट भी बिना किसी शुल्क के किया जा रहा है।
टीबी मरीजों की मदद के लिए समुदाय सहायता कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है, जिसमें गैर-सरकारी संगठन और स्थानीय जनप्रतिनिधि जागरूकता बढ़ाने और मरीजों को हरसंभव सहायता देने का कार्य कर रहे हैं। इस कार्यक्रम में पोषण, व्यावसायिक और उपचार सहायता भी प्रदान की जा रही है।
भारत में टीबी उन्मूलन का लक्ष्य 2025
जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी डॉ. प्रांजल खरे ने बताया कि प्रधानमंत्री के निर्देश के अनुसार वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाना है। इसके तहत बीसीजी टीकाकरण का विस्तार किया गया है। सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल (SDG) 2030 के अनुसार टीबी से होने वाली मौतों को 2015 के स्तर से 90% तक कम करने और नए मामलों में 80% तक कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है।
निष्कर्ष:
टीबी उन्मूलन के इस अभियान में स्वास्थ्य अधिकारियों और नर्सिंग स्टाफ को कुशल बनाने के साथ-साथ समुदाय की भागीदारी और परिवारों की जिम्मेदारी पर विशेष जोर दिया जा रहा है। सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में सहयोग से टीबी को समाप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत चिकित्सा और नर्सिंग अधिकारियों का प्रशिक्षण आयोजित
