
शिक्षा के नाम पर धंधा नहीं सहेंगे!
गोहद,भिंड । संविधान कहता है शिक्षा अधिकार है, लेकिन ज़मीनी हकीकत में यह धंधा बन चुकी है। गोहद से लेकर ग्वालियर तक का हर अभिभावक आज यही सवाल कर रहा हैक्या शिक्षा का मंदिर अब मुनाफे की मंडी बन चुका है?
तीन साल के बच्चों पर हजारों की किताबों का बोझ
LKG और UKG के मासूम बच्चों पर थोपे जा रहे हैं ₹3,000 से अधिक की किताबों के सेट। हर साल किताबें बदली जाती हैं ताकि अभिभावक पुरानी किताबों का उपयोग न कर सकें। किताबों की गुणवत्ता से ज़्यादा फ़ायदे का खेल है ये पब्लिशर, स्कूल और डीलरों की मिलीभगत का गठजोड़।
बैग, ड्रेस, जूते में छुपा शिक्षा माफिया का करोड़ों का कारोबार
प्राइवेट स्कूल अब शिक्षा से ज़्यादा “कमीशन” पर केंद्रित हैं। अभिभावकों को बाध्य किया जाता है कि वे खास दुकानों से ही यूनिफॉर्म, बैग और जूते खरीदें। 200 रुपए का बैग 800 रुपए में, 300 रुपए की यूनिफॉर्म 1200 रुपए में । दुकानों से बंधी डील का सीधा बोझ माता-पिता की जेब पर पड़ता है । वहीं ‘फीस’ अब शिक्षा नहीं, आर्थिक आतंक बन चुकी है
डवलपमेंट फीस, स्मार्ट क्लास चार्ज, फेस्टिवल फीस, फोटो चार्ज ऐसे नामों से फीस वसूली का नया ढांचा तैयार किया गया है, जिसमें पढ़ाई गौण हो गई है और व्यापार प्रमुख। हर महीने की फीस गरीब परिवारों के सपनों पर भारी पड़ती है।
प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी बन रही है रहस्य
जनता जानना चाहती है क्यों जिला शिक्षा अधिकारी मूकदर्शक बने हैं?
क्यों जनप्रतिनिधि खामोश हैं?
क्यों कोई कार्रवाई नहीं होती? क्या कमीशन की गर्मी ने संवेदनशीलता को जला डाला है?कानूनी उल्लंघन के खुले प्रमाण फिर भी कार्रवाई नहीं? उपभोक्ता संरक्षण कानून और अनुच्छेद 21A (शिक्षा का अधिकार) का खुला उल्लंघन हो रहा है। फिर भी न कोई FIR, न ED की जांच, न गिरफ्तारी?
अब चुप्पी नहीं जन विद्रोह होगा!
गोहद में ‘व्यवस्था परिवर्तन’ संगठन के संयोजक पुखराज भटेले ने चेतावनी दी है
यदि 7 दिन के भीतर प्रशासनिक कार्रवाई नहीं हुई तो पूरे संभाग में शिक्षा सत्याग्रह की शुरुआत होगी। बच्चों की किताबें व्यापार नहीं, संस्कार हैं। जो इस पर व्यापार करेगा, वह जनता की अदालत में खड़ा होगा!
अब हर गली से गूंजेगी एक आवाज़:
शिक्षा का सौदा नहीं होगा!
बच्चों का शोषण नहीं सहेंगे!




