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कुक्कुट विकास निगम के संविदा कर्मचारियों का आंदोलन पहुँचा 10वें दिन, भूख हड़ताल के जरिए जताया विरोध

भोपाल ।  मध्यप्रदेश कुक्कुट विकास निगम के संविदा कर्मचारियों द्वारा 22 जुलाई 2023 की नई संविदा नीति के तहत वेतन, भत्ते और नियमितीकरण की माँग को लेकर किया जा रहा आंदोलन शुक्रवार को दसवें दिन में प्रवेश कर गया। इस दिन कर्मचारियों ने एक दिवसीय भूख हड़ताल कर प्रशासन पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया और जल्द से जल्द आदेश जारी करने की माँग दोहराई।

संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि पिछले 10 दिनों से कर्मचारी अलग-अलग तरीकों से प्रदर्शन कर चुके हैं। कभी चारा खाकर तो कभी मौन धारण कर उन्होंने अपनी माँगों को शांतिपूर्ण तरीके से सरकार तक पहुँचाने की कोशिश की है।

संविदा नीति लागू न होने से नाराज कर्मचारी

संघ का कहना है कि 22 जुलाई 2023 को राज्य सरकार द्वारा संविदा नीति अधिसूचित की गई थी, जिसके अंतर्गत संविदा कर्मचारियों को वेतन, भत्ता और अन्य सुविधाएं प्रदान की जानी थीं।

हालांकि, कुक्कुट विकास निगम द्वारा नीति अनुमोदित करने के बाद भी जनवरी 2025 में आदेश जारी करने का आश्वासन दिया गया, लेकिन अब तीन महीने बीत जाने के बाद भी फाइलें केवल सामान्य प्रशासन विभाग और पशुपालन विभाग के बीच घूम रही हैं।

संघ का दावा है कि नीति बन जाने के बाद मार्गदर्शन मांगने की कोई आवश्यकता नहीं है, और निगम चाहे तो कभी भी आदेश जारी कर सकता है।

संविधानिक रूप से वैध माँगें – आंदोलन की मुख्य बातें

नीति के तहत वेतन और भत्तों का भुगतान।
निगम द्वारा अनुमोदन के बावजूद आदेश जारी न होना।
जनवरी 2025 में मिले आश्वासन की अवहेलना।
सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा पहले ही स्वीकृति दी जा चुकी है।
आंदोलन का क्रम और प्रदर्शनकारी चेहरे

1 से 7 जनवरी 2025 तक पहली हड़ताल हुई थी, जिसके बाद प्रबंधन ने 7 दिनों में आदेश जारी करने का वादा किया था। वादा पूरा न होने के कारण अप्रैल में पुनः आंदोलन शुरू किया गया। प्रमुख प्रदर्शनकारियों में शामिल हैं – अंकित पाठक, अक्षय राजपूत, प्रणय सक्सेना, प्रदेश नंदनवार, आस्था यादव, दीपक शर्मा, संजय सैनी, वैशाली पटेल, सावित्री, कन्हैया लाल आदि।


संघ की चेतावनी – अगला चरण होगा और अधिक उग्र

प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने सरकार और निगम प्रबंधन को चेतावनी देते हुए कहा कि “अगर जल्द ही आदेश जारी नहीं किए गए तो आंदोलन और उग्र रूप लेगा। इसके लिए पूरी जिम्मेदारी शासन और निगम प्रशासन की होगी।”


निष्कर्ष
कुक्कुट विकास निगम आंदोलन मध्यप्रदेश में संविदा कर्मचारियों की अस्थिर नौकरी और सुविधाओं को लेकर उठते प्रश्नों का प्रतीक बन चुका है। संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों की रक्षा के लिए किए जा रहे इस आंदोलन ने अब राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव को भी जन्म दिया है।

अगर जल्द ही शासन ने समाधान नहीं दिया, तो यह संघर्ष राज्यभर के अन्य संविदा कर्मचारियों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन सकता है।

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