गोहद (भिंड)। ऐतिहासिक नगर गोहद का विकास वर्ष 2013 से ही अधर में लटका हुआ है। गोहद मास्टर प्लान 2031 को लेकर नागरिकों में जहाँ लंबे समय से आशा थी, वहीं अब यह आशा धीरे-धीरे नाराज़गी और अविश्वास में बदल रही है। यातायात जाम, अव्यवस्थित बाजार, जलभराव, सीवेज अवरोध, अनियंत्रित कॉलोनियाँ और अतिक्रमण जैसी समस्याएँ दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं, लेकिन इनके स्थायी समाधान का मूल आधार – मास्टर प्लान – अब तक प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बना हुआ है।
एसडीएम को ज्ञापन, फिर भी नहीं मिली प्रतिक्रिया
इस गंभीर स्थिति को लेकर 2 जुलाई 2025 को स्थानीय नागरिकों ने एसडीएम गोहद को ज्ञापन सौंपा था, जिसमें मास्टर प्लान के शीघ्र क्रियान्वयन की मांग की गई थी। इसके बाद एक अनुस्मारक पत्र भी प्रशासन को भेजा गया, लेकिन अब तक न तो कोई कार्यवाही सामने आई और न ही किसी प्रकार की स्थिति रिपोर्ट सार्वजनिक की गई है।
जिला प्रशासन स्तर पर हो हस्तक्षेप की आवश्यकता
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता पुखराज भटेले ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह अब केवल गोहद नगर पालिका का नहीं, बल्कि जिला प्रशासन की प्राथमिकता का विषय है। उन्होंने मांग की है कि मास्टर प्लान 2031 की स्थिति पर जिला स्तर पर समीक्षा बैठक आयोजित हो।
नगर पालिका एवं नगर नियोजन विभाग से तात्कालिक कार्रवाई रिपोर्ट तलब की जाए।
यदि कोई तकनीकी या प्रशासनिक अड़चन है, तो उसे जनप्रतिनिधियों और नागरिकों के संवाद से दूर किया जाए। आगामी 15 दिवसों में मास्टर प्लान के क्रियान्वयन की स्पष्ट समय-सीमा घोषित की जाए।
मास्टर प्लान नहीं, तो विकास नहीं
वर्तमान में गोहद नगर की अधिकांश समस्याएँ चाहे वह सड़क चौड़ीकरण, नवीन कॉलोनियों का नियमन, नगर पालिका सीमा का विस्तार, या आमजन के लिए आधारभूत सुविधाओं की उपलब्धता हो – सभी मास्टर प्लान पर निर्भर हैं। मास्टर प्लान लागू नहीं होने से:
नगर पालिका की सीमाएँ तय नहीं हो पा रहीं, जिससे आसपास के गांव शहरी सीमा में शामिल नहीं हो पा रहे हैं और विकास अवरुद्ध है। राजस्व संग्रहण में बढ़ोत्तरी संभव नहीं हो पा रही। सड़क चौड़ीकरण और बाजार पुनर्गठन जैसे कार्य रुक गए हैं, जिससे रोज़ यातायात जाम और दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है।
राज्यभर में अधर में मास्टर प्लान, गोहद भी उसी राह पर
यह केवल गोहद की ही नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश के अनेक नगरों की समस्या बन चुकी है। प्रदेश के कई जिलों में मास्टर प्लान या तो अभी तक लागू नहीं हो सके हैं या फिर उन्हें राजनीतिक/प्रशासनिक कारणों से ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। गोहद का मास्टर प्लान 2031 भी इन्हीं में एक है, जिसकी वजह से नगर की समग्र योजनाबद्ध प्रगति रुकी हुई है।
जनता में बढ़ता प्रशासन के प्रति अविश्वास
स्थानीय निवासियों का कहना है कि अगर शीघ्र इस विषय पर ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो आने वाले वर्षों में शहर की समस्याएँ और अधिक विकराल हो जाएँगी। साथ ही जनता में प्रशासनिक प्रणाली के प्रति अविश्वास और आक्रोश और अधिक गहरा होगा।
गोहद जैसे ऐतिहासिक नगर का योजनाबद्ध विकास आज प्रशासनिक सक्रियता और इच्छाशक्ति पर निर्भर है। यदि मास्टर प्लान 2031 को शीघ्र लागू नहीं किया गया, तो यह नगर केवल अतीत की कहानियों में ही बसा रहेगा। अब वक्त है कार्रवाई का।
2013 से लटकी गोहद मास्टर प्लान 2031 की फाइल, जनता को इंतजार – प्रशासनिक निष्क्रियता पर नाराज़गी
