एम्स भोपाल के डॉक्टर ने वाशिंगटन डीसी में अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा सम्मेलन में ब्रेकियल प्लेक्सस इंजरी के इलाज में उन्नत तकनीक प्रस्तुत की

भोपाल। एम्स भोपाल (AIIMS Bhopal) एक बार फिर वैश्विक स्तर पर अपने उत्कृष्ट शोध और चिकित्सा नवाचार के लिए चर्चा में है। एम्स भोपाल के बर्न्स एवं प्लास्टिक सर्जरी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. दीपक कृष्णा ने हाल ही में अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में आयोजित इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ सोसाइटीज ऑफ़ सर्जरी ऑफ़ द हैंड की त्रैवार्षिक कार्यशाला में भाग लिया। इस वैश्विक चिकित्सा सम्मेलन में उन्होंने ब्रेकियल प्लेक्सस इंजरी का इलाज करने के लिए विकसित की गई नई टेंडन ट्रांसफर तकनीक को प्रस्तुत किया।

डॉ. दीपक कृष्णा का शोध पत्र “टेंडन ट्रांसफर फॉर रिस्ट एंड फिंगर्स ड्रॉप इन ब्रेकियल प्लेक्सस इंजरी” पर आधारित था, जिसमें उन्होंने एम्स भोपाल में इलाज किए गए मरीजों के अनुभवों और चिकित्सकीय परिणामों को विस्तार से प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं में अक्सर कंधे की नसों पर अत्यधिक खिंचाव आता है, जिससे हाथ में कमजोरी या लकवा जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इस चुनौतीपूर्ण स्थिति को सुधारने के लिए उन्होंने एफडीएस (FDS) टेंडन आधारित एक नई उन्नत तकनीक विकसित की, जिससे मरीजों को पारंपरिक विधियों की तुलना में बेहतर परिणाम मिले हैं।

डॉ. दीपक ने सम्मेलन में बताया कि ब्रेकियल प्लेक्सस इंजरी में टेंडन ट्रांसफर एक प्रभावी उपचार है, लेकिन पारंपरिक तरीकों की सीमाओं को देखते हुए नवीन समाधान की आवश्यकता थी। एम्स भोपाल के चिकित्सकों ने इस दिशा में नवाचार करते हुए आधुनिक तकनीक विकसित की है, जो अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर सराही जा रही है।

इस उपलब्धि पर एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, “हमारे डॉक्टरों का यह योगदान न केवल भारत के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा समुदाय को भी लाभान्वित करेगा। एम्स भोपाल निरंतर वैश्विक स्वास्थ्य सेवाओं में उत्कृष्टता का प्रतीक बनता जा रहा है।”

विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) मनाल एम. ख़ान ने भी बताया कि एम्स भोपाल में न केवल ब्रेकियल प्लेक्सस इंजरी बल्कि अन्य पेरीफेरल नर्व इंजरी का भी उन्नत तकनीकों के माध्यम से इलाज किया जा रहा है, जिससे मरीजों को अत्यधिक लाभ मिल रहा है।

यह भागीदारी न केवल एम्स भोपाल की वैश्विक पहचान को सुदृढ़ करती है, बल्कि भारत की चिकित्सा विशेषज्ञता और नवाचार क्षमताओं को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उजागर करती है।

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