जैन समाज में उल्लास का माहौल, मुनि प्रमाण सागर और मुनि विमल सागर महाराज के सानिध्य में हुए भव्य धार्मिक आयोजन

भोपाल। जैन समाज के लिए 14 अप्रैल का दिन अपार श्रद्धा, उत्साह और धर्ममय वातावरण से परिपूर्ण रहा। यह ऐतिहासिक दिन पूरे समाज के लिए आध्यात्मिक गौरव का प्रतीक बन गया, जब दो महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन संपन्न हुए।
नवीन श्री आदिश्वर महावीर तीर्थ धाम में जिन प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा
मुनि प्रमाण सागर महाराज एवं उनके संघ के पावन सानिध्य में आज नवीन श्री आदिश्वर महावीर तीर्थ धाम आकार लेता हुआ नजर आया। इस तीर्थ स्थल पर विशेष धार्मिक अनुष्ठानों के अंतर्गत लगभग 29 फीट ऊँची भगवान आदिनाथ और महावीर स्वामी की भव्य प्रतिमाओं को 25 फीट ऊँची वेदिका पर विधिपूर्वक विराजमान किया गया। आयोजन में जैन समाज के प्रवक्ता अंशुल जैन ने बताया कि यह तीर्थ धाम न्यायमूर्ति अभय गोहिल एवं उनके परिवार द्वारा निर्मित कराया जा रहा है, जिसमें शीघ्र ही पंच कल्याणक महोत्सव का आयोजन भी प्रस्तावित है।
मुनि प्रमाण सागर महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा, “यह नवीन तीर्थ धाम और जिनालय भारतीय संस्कृति, दर्शन और आध्यात्मिक मूल्यों को अनंत काल तक संरक्षित रखेगा। आने वाली पीढ़ियां इस तीर्थ स्थल से भारतीय अध्यात्म और संस्कारों को समझेंगी।”
इस पावन अवसर पर जस्टिस अभय गोहिल, श्रीमती विजय गोहिल, राकेश गोहिल, श्रीमती अनिता गोहिल, अनुराग गोहिल (एडवोकेट), श्रीमती रुचिका गोहिल, आर्यमान गोहिल, शरद गोहिल, आभा गोहिल, संजय गोहिल, नितिन गोहिल सहित समस्त गोहिल परिवार ने पूजा-अर्चना कर धर्मलाभ प्राप्त किया।
पिपलानी जैन मंदिर में स्वर्ण जयंती और वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव
दूसरी ओर, पिपलानी स्थित श्री आदिनाथ जैन मंदिर में 50वीं स्वर्ण जयंती के पावन अवसर पर वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन मुनि विमल सागर महाराज एवं उनके संघ के सानिध्य में संपन्न हुआ। प्रतिष्ठाचार्य अविनाश भैया के निर्देशन में इंद्र प्रतिष्ठा, वेदी प्रतिष्ठा एवं वेदी शुद्धि संस्कार की क्रियाएं विधिपूर्वक संपन्न हुईं।
प्रवक्ता अंशुल जैन के अनुसार, यह चार दिवसीय अनुष्ठान 16 अप्रैल, बुधवार को अपने चरम पर पहुंचेगा, जब नवीन वेदिका पर भगवान आदिनाथ की प्रतिमा को प्रतिष्ठित किया जाएगा और स्वर्णमयी कलश का शुभ आरोहण किया जाएगा। आयोजन में मंदिर समिति के अध्यक्ष अरविंद पंत, प्रदीप हरसोला, राजू गोयल, नितेश पंत सहित समाज के अनेक गणमान्य सदस्य उपस्थित रहे।
इन आयोजनों ने जैन समाज में नवचेतना और धार्मिक उत्सव का संचार किया है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।





