State

एम्स भोपाल में ‘सारांश 2.0’ राष्ट्रीय कार्यशाला का सफल आयोजन

भोपाल,। एम्स भोपाल के बाल रोग विभाग द्वारा स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (DHR) एवं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से 2 से 5 दिसंबर तक चार दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला ‘सारांश 2.0’ का सफल आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य देशभर में सटीक, विश्वसनीय और साक्ष्य-आधारित स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देना रहा, ताकि आम नागरिकों को बेहतर और सुरक्षित चिकित्सा उपलब्ध कराई जा सके।

क्लिनिकल दिशानिर्देशों में साक्ष्य-आधारित पद्धति आवश्यक: डॉ. माधवानन्द कर

कार्यशाला का उद्घाटन एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक एवं सीईओ प्रो. (डॉ.) माधवानन्द कर ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि कोविड-19 महामारी ने साक्ष्य-आधारित क्लिनिकल दिशानिर्देशों के महत्व को प्रमाणित किया है, और भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य के लिए वैज्ञानिक प्रमाणों पर आधारित मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली बेहद जरूरी है।

डीएचआर का बड़ा कदम: भारत में वैश्विक मानकों के अनुरूप दिशानिर्देश

कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (DHR) पारंपरिक सहमति-आधारित पद्धति से आगे बढ़कर साक्ष्य-आधारित, पारदर्शी और वैज्ञानिक क्लिनिकल दिशानिर्देश विकसित कर रहा है।
यूके की NICE, ऑस्ट्रेलिया की NHMRC और अमेरिका की AHRQ की तर्ज पर भारत अब अपनी जनसंख्या, वैज्ञानिक डेटा और स्वास्थ्य जरूरतों के अनुरूप दिशानिर्देश तैयार कर रहा है। अब तक 8 राष्ट्रीय स्टेम सेल दिशानिर्देश प्रकाशित, 16 दिशानिर्देश विकास प्रक्रिया में 27 तकनीकी संसाधन केंद्र, 6 तकनीकी संसाधन हब अत्याधुनिक वैज्ञानिक मानकों पर कार्यरत
राष्ट्रीय विशेषज्ञों की उपस्थिति से कार्यशाला बनी विशेष

चार दिवसीय सारांश 2.0 में देशभर से आए शीर्ष विशेषज्ञों प्रो. (डॉ.) जोसेफ मैथ्यू, डॉ. विकास धीमन, डॉ. जितेन्द्र मीना, डॉ. ए. जी. राधिका और डॉ. रूपा हरिप्रसाद ने साक्ष्य-आधारित चिकित्सा पर विशेष व्याख्यान और प्रायोगिक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए। समापन सत्र में प्रो. (डॉ.) गिरीश सी. भट्ट (प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर, DHR-TRC) और डॉ. गरिमा दुबे ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

Related Articles