एमआईटी-डब्ल्यूपीयू वर्ल्ड टेक्नोलॉजी समिट 2025 का सफल समापन: मानव-केंद्रित नवाचार और वैश्विक कनेक्टिविटी पर विशेष जोर

पुणे। एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी ने वर्ल्ड टेक्नोलॉजी ग्रुप के सहयोग से वर्ल्ड टेक्नोलॉजी समिट 2025 इंडिया का भव्य आयोजन पुणे स्थित वर्ल्ड पीस डोम में सफलतापूर्वक सम्पन्न किया। Innovation to Impact: Accelerating Global Connectivity विषय पर आधारित इस दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ने विज्ञान, तकनीक और अध्यात्म के समन्वय के माध्यम से एक मानव-केंद्रित, सहानुभूतिपूर्ण और सतत भविष्य के निर्माण का संदेश दिया।
इस वैश्विक समागम में 25 देशों के 200 से अधिक प्रतिनिधियों जिनमें नीति निर्माता, वैज्ञानिक, उद्योग जगत के नेता और युवा नवप्रवर्तक शामिल थे, ने भाग लिया। चर्चाओं का केंद्र बिंदु रहा कि कैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), रोबोटिक्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, बायोटेक्नोलॉजी, स्वच्छ ऊर्जा और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे नवाचार, मानव मूल्यों के साथ तालमेल बैठाकर दुनिया को और अधिक जुड़ा हुआ बना सकते हैं।
वर्ल्ड टेक्नोलॉजी समिट इंडिया कोऑर्डिनेशन कमीशन की चेयर डेबोरा पंडित-सवाफ ने कहा ki यह सम्मेलन विज्ञान, दर्शन और अध्यात्म का अद्भुत संगम है। मशीनों और डेटा के इस युग में मानव सहानुभूति और रचनात्मकता ही हमें शांति और समृद्धि की दिशा में आगे ले जाएगी। भारत विज्ञान और अध्यात्म के बीच सेतु है, हमारे युवाओं के लिए यह ‘moonshot moment’ है।
इसरो के पूर्व निदेशक माधव वासुदेव ढेकणे ने अपने कीनोट भाषण में भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था की प्रगति को रेखांकित करते हुए कहा कि देश अब अंतरिक्ष स्टेशन (2040–2047) की दिशा में अग्रसर है और 133 से अधिक अंतरिक्ष अभियानों के माध्यम से वैश्विक नेतृत्व स्थापित कर चुका है।
एमआईटी-डब्ल्यूपीयू के एक्जीक्यूटिव प्रेसिडेंट डॉ. राहुल वी. कराड ने कहा कि टेक्नोलॉजी का महत्व तभी है जब वह मानवता के हित में काम करे। पश्चिम को हमसे भावनात्मक बुद्धिमत्ता सीखनी चाहिए और हमें उनसे विज्ञान व टेक्नोलॉजी। यही MIT-WPU का मूल उद्देश्य है, विज्ञान और अध्यात्म के बीच संतुलन बनाना।
सम्मेलन में सतत नवाचार और सामाजिक जिम्मेदारी पर आधारित कई पहलें शुरू की गईं, जिनमें Sustainability Lab with the Kapda Project विशेष रूप से चर्चित रही। छात्रों ने कैंपस अपशिष्ट को उपयोगी उत्पादों में बदलने की दिशा में नवाचार प्रस्तुत किए।
समापन सत्र में वक्ताओं ने आह्वान किया कि विज्ञान और तकनीक को मानवता के कल्याण हेतु एक सकारात्मक शक्ति के रूप में प्रयोग किया जाए, ताकि नवाचार वैश्विक कनेक्टिविटी को गति प्रदान करे और समान अवसरों वाला भविष्य निर्मित हो सके।



