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भोपाल आंचलिक विज्ञान केंद्र में ‘सूर्य का अध्ययन’ विषय पर रचनात्मक कार्यशाला संपन्न, छात्रों ने सीखे वैज्ञानिक प्रयोग

भोपाल। विज्ञान एवं तकनीक के प्रति छात्रों की जिज्ञासा और समझ को बढ़ाने के उद्देश्य से आंचलिक विज्ञान केंद्र, भोपाल द्वारा ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान 26 से 30 मई, 2025 तक एक रचनात्मक विज्ञान कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस पांच दिवसीय कार्यशाला का विषय था – ‘सूर्य का अध्ययन: हमारा मूल तारा’, जिसमें छात्रों ने सूर्य से संबंधित कई वैज्ञानिक अवधारणाओं को व्यावहारिक रूप में जाना और समझा।

सूर्य के रहस्यों की खोज में जुटे छात्र

कार्यशाला के दौरान छात्रों को सूर्य की संरचना, ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया, सौर धब्बे (Sunspots), सौर चक्र (Solar Cycle), और अंतरिक्ष आधारित सौर वेधशालाओं जैसे नासा और ईएसए का SOHO, तथा ISRO का आदित्य-एल1 मिशन जैसी वैज्ञानिक परियोजनाओं से परिचित कराया गया। यह सत्र पूरी तरह से गतिविधि-आधारित शिक्षण पद्धति पर आधारित रहा, जिससे छात्रों में वैज्ञानिक सोच और अवलोकन क्षमता का विकास हुआ।

दूरबीन से किया सौर अवलोकन, बनाए वैज्ञानिक रेखाचित्र

छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली सोलर टेलीस्कोप की मदद से सूर्य और सौर धब्बों का अवलोकन कराया गया। अवलोकन के बाद छात्रों ने अपने अनुभव को रेखाचित्रों के माध्यम से कागज़ पर दर्शाया और बाद में उनकी तुलना नासा, इसरो और अन्य संस्थाओं द्वारा जारी आधिकारिक छवियों से की। इससे छात्रों को वैज्ञानिक निरीक्षण और विश्लेषण की विधि में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हुआ।

पिनहोल कैमरा और 3D मॉडल से समझा सूर्य का विज्ञान

इस कार्यशाला में छात्रों ने न केवल अवलोकन किया बल्कि विज्ञान को रचनात्मक तरीके से भी समझा। उन्होंने पिनहोल कैमरा, सूर्यघड़ी, और सूर्य का त्रिआयामी मॉडल (3D Model) भी स्वयं तैयार किया। इन गतिविधियों के ज़रिए छात्रों को यह सीखने का अवसर मिला कि कैसे सरल उपकरणों से जटिल खगोलीय घटनाओं को समझा जा सकता है।

सीमित संख्या में चयनित प्रतिभागी

इस विशेष सत्र में कुल 12 छात्र प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिन्हें उनकी विज्ञान में रुचि, रचनात्मकता और कार्यशाला की उपयोगिता के आधार पर चयनित किया गया था। आंचलिक विज्ञान केंद्र द्वारा आयोजित इस तरह की पहलें छात्रों में वैज्ञानिक सोच, अवलोकन क्षमता, और व्यावहारिक ज्ञान के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

निष्कर्ष:

आंचलिक विज्ञान केंद्र, भोपाल द्वारा आयोजित ‘सूर्य का अध्ययन’ कार्यशाला ने छात्रों को न केवल वैज्ञानिक तथ्यों से अवगत कराया, बल्कि उन्हें प्रयोगों के ज़रिए अनुभवजन्य ज्ञान भी प्रदान किया। इस तरह की क्रियाशील शिक्षा पद्धति से न सिर्फ विज्ञान को समझना आसान होता है, बल्कि यह भविष्य के वैज्ञानिकों और नवाचारकों की नींव भी मजबूत करती है।

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