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एम्स भोपाल की ASSOPICON 2025 में सशक्त वैज्ञानिक भूमिका
इलेक्ट्रोफिज़ियोलॉजी पर संवादात्मक सत्र में क्लिनिकल व ट्रांसलेशनल शोध पर गहन विमर्श

भोपाल। एम्स भोपाल निरंतर शैक्षणिक उत्कृष्टता, उन्नत शोध और राष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक विमर्श में सक्रिय योगदान दे रहा है। इसी क्रम में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निमहांस), बेंगलुरु में आयोजित फिज़ियोलॉजिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ASSOPICON 2025) के अंतर्गत “इलेक्ट्रोफिज़ियोलॉजी: प्रैक्टिकल एप्रोचेज़” विषय पर एक अत्यंत उपयोगी, संवादात्मक और बहुआयामी वैज्ञानिक सत्र का सफल आयोजन किया गया। इस सत्र में इलेक्ट्रोफिज़ियोलॉजी तकनीकों के समकालीन क्लिनिकल, शोध एवं ट्रांसलेशनल अनुप्रयोगों पर विस्तार से चर्चा की गई। इस संगोष्ठी की अध्यक्षता एम्स भोपाल के फिज़ियोलॉजी विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. वरुण मल्होत्रा ने की। सत्र का आयोजन एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) माधवानंद कर तथा एम्स जोधपुर के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. अभिनव दीक्षित के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ।

विविध संस्थानों से वैज्ञानिक प्रस्तुतियाँ

वैज्ञानिक सत्र के दौरान देश के प्रतिष्ठित संस्थानों से आए विशेषज्ञों ने अपने अनुभव, शोध निष्कर्ष और नवाचार साझा किए डॉ. जयश्री फुरैलात्पम (RIMS, इम्फाल) ने उत्तर-पूर्व भारत में इलेक्ट्रोन्यूरोफिज़ियोलॉजी से जुड़े अनुभव, क्षेत्रीय चुनौतियाँ, नवाचार और क्षमता निर्माण प्रयासों पर प्रकाश डाला।डॉ. स्नेहाशीष भुनिया (UPUMS, सैफई) ने इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी के भविष्य पर चर्चा करते हुए उन्नत ECG विश्लेषण, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और क्लिनिकल उपयोगिता को रेखांकित किया। प्रो. रुपाली परलेवार (एम्स बिलासपुर) ने महिला थायरॉयड रोगियों में P300 इवेंट-रिलेटेड पोटेंशियल्स के माध्यम से संज्ञानात्मक कार्यों के मूल्यांकन पर अपने शोध निष्कर्ष प्रस्तुत किए। डॉ. पूजा ओझा (एम्स जोधपुर) ने नृत्य प्रशिक्षण से उत्पन्न न्यूरोप्लास्टिक प्रभावों, विश्राम अवस्था की ब्रेन वेव गतिविधियों और हृदय स्वायत्त क्रियाओं के अंतर्संबंध को स्पष्ट किया। डॉ. श्रेया शर्मा (एम्स देवघर) ने स्ट्रोक के बाद पुनर्वास हेतु विकसित DEOGHAR-AI प्रोटोकॉल सहित नॉन-इनवेसिव ब्रेन स्टिमुलेशन तकनीकों की जानकारी दी। डॉ. आयशा जुही (एम्स देवघर) ने स्ट्रोक के बाद ऊपरी अंगों की मोटर रिकवरी में rTMS की विभिन्न आवृत्तियों पर आधारित रैंडमाइज़्ड कंट्रोल्ड ट्रायल के परिणाम साझा किए। डॉ. अरविंद कंचन (एम्स रायबरेली) ने न्यूरोसर्जरी में इंट्राऑपरेटिव न्यूरोफिज़ियोलॉजिकल मॉनिटरिंग की भूमिका और रोगी सुरक्षा पर इसके प्रभाव को रेखांकित किया। डॉ. नवीन रवि (BGS मेडिकल कॉलेज, नगरूर) ने पार्किंसन रोग के नॉन-मोटर लक्षणों के प्रबंधन हेतु नॉन-इनवेसिव इलेक्ट्रिकल वेस्टिबुलर नर्व स्टिमुलेशन को उभरती तकनीक के रूप में प्रस्तुत किया।


शोध और क्लिनिकल अभ्यास के बीच सशक्त सेतु

यह संगोष्ठी प्रयोगात्मक इलेक्ट्रोफिज़ियोलॉजी और क्लिनिकल अनुप्रयोगों के बीच प्रभावी सेतु स्थापित करने में सफल रही। सत्र में संकाय सदस्यों, शोधकर्ताओं और स्नातकोत्तर विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी देखने को मिली। इस वैज्ञानिक संवाद ने प्रिसिजन मेडिसिन, न्यूरोरिहैबिलिटेशन और इंटीग्रेटिव फिज़ियोलॉजी में इलेक्ट्रोफिज़ियोलॉजिकल उपकरणों की बढ़ती भूमिका को और सुदृढ़ किया तथा ASSOPICON 2025 के वैज्ञानिक उद्देश्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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