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मध्यप्रदेश में शिक्षा माफिया पर सख्ती: जबलपुर और भिंड कलेक्टर की कार्रवाई बनी मिसाल, भोपाल-इंदौर में हो तैनाती की मांग

भोपाल/इंदौर: मध्यप्रदेश के जबलपुर और भिंड कलेक्टरों की सख्त कार्यशैली और शिक्षा माफिया पर किए गए निर्णायक कदमों की पूरे प्रदेश में सराहना हो रही है। आम जनता से लेकर प्रशासनिक गलियारों तक यह मांग उठ रही है कि इन जांबाज़ अफसरों को भोपाल और इंदौर जैसे बड़े जिलों का कलेक्टर बनाया जाए, ताकि वहां भी शिक्षा के क्षेत्र में फैले भ्रष्टाचार और माफिया तंत्र पर नकेल कसी जा सके।

जबलपुर और भिंड में शिक्षा माफिया पर बड़ी कार्रवाई

जबलपुर और भिंड कलेक्टरों ने जिस साहस के साथ निजी स्कूलों द्वारा की जा रही फीस की मनमानी और प्राइमरी कोर्स की ब्लैक मार्केटिंग पर कार्रवाई की है, वह पूरे प्रदेश के लिए एक मिसाल बन गई है। जहां भोपाल और इंदौर जैसे जिलों में अभी भी प्राइमरी शिक्षा सामग्री हजारों रुपये में दुकानों से खरीदने के लिए अभिभावक मजबूर हैं, वहीं भिंड में कलेक्टर ने न केवल निजी स्कूलों के रेट तय कर दिए, बल्कि शिक्षा माफिया की कमर भी तोड़ दी है।

भोपाल-इंदौर में भी चाहिए ऐसे सख्त अफसर

भोपाल और इंदौर जैसे बड़े शहरी क्षेत्रों में शिक्षा माफिया का वर्चस्व अभी भी बना हुआ है। अभिभावकों को स्कूलों की मनमानी फीस, किताबों और यूनिफॉर्म की ऊंची कीमतों से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में जबलपुर और भिंड जैसे जिलों में तैनात अफसरों की कार्यशैली को देखते हुए आमजन की यह मांग है कि इन्हें राजधानी और वाणिज्यिक राजधानी जैसे जिलों में तैनात किया जाए, ताकि वहां भी शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाया जा सके।

निष्कर्ष:
मध्यप्रदेश में शिक्षा सुधार की दिशा में जबलपुर और भिंड कलेक्टरों की पहल को पूरे प्रदेश में लागू किए जाने की जरूरत है। इनके अनुभव और साहसिक निर्णय से भोपाल, इंदौर जैसे जिलों में भी शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी और माफिया मुक्त बनाया जा सकता है।

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