रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में श्रीलंकाई कलाकारों ने प्रस्तुत किया ‘रावणेश्वर’,  रावण की गाथा पर आधारित भव्य नृत्य नाटिका ने मोहा दर्शकों का मन

भोपाल। रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय और विश्वरंग फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में श्रीलंका के प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा प्रस्तुत नृत्य-नाटिका ‘रावणेश्वर’ ने भोपाल के दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक आयोजन का उद्देश्य भारत और श्रीलंका के बीच सांस्कृतिक संवाद और कलात्मक सहयोग को सुदृढ़ करना, साथ ही रामायण जैसी अमर कथा को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करना था।

‘रावणेश्वर’: शिवभक्त से अहंकारी रावण तक की यात्रा

55 मिनट की यह नृत्य-नाटिका रावण के जीवन की गहराई में उतरती है , जहाँ प्रारंभ में वह शिवभक्त और संगीतज्ञ के रूप में दिखाया गया है, वहीं आगे उसकी लालसा, अहंकार और पतन की गाथा को नाटकीय रूप से उजागर किया गया। कथा के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि प्रतिभा और शक्ति यदि संयम और मर्यादा से रहित हों, तो विनाश निश्चित है।

संगीत, नृत्य और मंच सज्जा का अद्भुत संगम

इस प्रस्तुति में श्रीलंका की तीन प्रमुख नृत्य शैलियों, कैंडियन डांस, लो कंट्री डांस और सबरगमो डांस — का उत्कृष्ट प्रयोग किया गया। पारंपरिक श्रीलंकाई वेशभूषा, मुखौटे, संगीत और मंच प्रकाश के समन्वय से यह प्रस्तुति दृश्य और भावनात्मक दोनों दृष्टि से प्रभावशाली रही। मुख्य भूमिकाओं में लहिरु रोशन (रावण), यसित जीवन (राम), गयांदी (सीता), हिरुनी (मंदोदरी), और इसरु रुषान (शिव) ने अपने सशक्त अभिनय और नृत्य से दर्शकों को बांधे रखा।

सांस्कृतिक एकता और शोध की गहराई से उपजी नाटिका

नाटिका का निर्देशन और लेखन डॉ. अमिला दमयंती (विभागाध्यक्ष, नृत्य एवं नाट्य संकाय, इंडियन एंड एशियन डांस विभाग, श्रीलंका) ने किया। उन्होंने बताया कि ‘रावणेश्वर’ उनकी पीएचडी शोध भारत और श्रीलंका की रामलीला पर तुलनात्मक अध्ययन पर आधारित है। नाटिका में खंब रामायण, श्रीलंकाई लोककथाओं और तमिल परंपराओं को जोड़ते हुए कुल 22 पात्रों की कथा बुनी गई है।

भारत-श्रीलंका सांस्कृतिक सेतु का प्रतीक आयोजन

रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे ने कहा कि यह आयोजन भारत और श्रीलंका के बीच सांस्कृतिक सौहार्द और संवाद को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। ‘रावणेश्वर’ जैसी प्रस्तुतियाँ भारतीय उपमहाद्वीप की सांस्कृतिक विविधता को नई दृष्टि से समझने का अवसर देती हैं। इस मौके पर कुलगुरु प्रो. रवि प्रकाश दुबे, डॉ. विजय सिंह (एस.जी.एस.यू.), डॉ. संजीव गुप्ता, और डॉ. संगीता जौहरी सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।

पूर्व में अयोध्या दीपोत्सव में भी हुई प्रस्तुति

इससे पूर्व श्रीलंकाई कलाकारों ने 17 से 20 अक्टूबर 2025 तक अयोध्या दीपोत्सव के दौरान उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग के आमंत्रण पर ‘रावणेश्वर’ का मंचन किया था। भोपाल में यह प्रस्तुति उसी श्रृंखला का हिस्सा रही, जिसे मध्यप्रदेश में विश्वरंग फाउंडेशन और रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने संयुक्त रूप से आयोजित किया।

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