एम्स भोपाल में गंभीर स्कोलियोसिस (रीढ़ की हड्डी की पीडियाट्रिक विकृति) का अत्याधुनिक तकनीकों से सफल इलाज, मरीज की बढ़ी लंबाई

भोपाल। मध्य भारत में उन्नत चिकित्सा सेवाओं का केंद्र बनता जा रहा एम्स भोपाल अब गंभीर रीढ़ की हड्डी की बीमारियों, खासकर पीडियाट्रिक स्पाइनल डिफॉर्मिटी जैसे मामलों में भी आशा की किरण बन चुका है। हाल ही में, एम्स भोपाल में एक 14 वर्षीय बच्चे की गंभीर स्कोलियोसिस (Scoliosis) — अर्थात रीढ़ की हड्डी में असामान्य रूप से अत्यधिक टेढ़ापन — का सफल ऑपरेशन किया गया।

यह जटिल और उच्च जोखिम वाली स्पाइन सर्जरी संस्थान के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में, विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम द्वारा की गई। सर्जरी के लिए नेविगेशन तकनीक और अत्याधुनिक 3D CT इमेजिंग का उपयोग किया गया, जिससे न केवल ऑपरेशन की सटीकता बढ़ी, बल्कि मरीज को भी बेहतर और तेज़ रिकवरी मिली।

डॉ. वी. के. वर्मा के नेतृत्व में इस सर्जरी को अंजाम दिया गया, जिसमें एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. शिखा जैन की भूमिका भी अहम रही। सर्जरी के बाद मरीज की स्थिति पूरी तरह स्थिर है और उसकी लंबाई में लगभग 2 सेंटीमीटर की वृद्धि भी देखी गई, जो इस सर्जरी की सफलता का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

स्कोलियोसिस का इलाज अब तक देश के मेट्रो शहरों में ही संभव माना जाता था, लेकिन अब एम्स भोपाल में रीढ़ की हड्डी की विकृतियों का इलाज संभव है। प्रो. सिंह ने कहा, “यह सफलता एम्स भोपाल की चिकित्सकीय दक्षता और तकनीकी समृद्धि को दर्शाती है। हम चाहते हैं कि मध्यप्रदेश और आसपास के क्षेत्रों के लोगों को बिना बड़े शहरों में गए ही उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाएं मिलें।”

इस उपलब्धि से स्पष्ट है कि एम्स भोपाल स्कोलियोसिस ट्रीटमेंट जैसे जटिल मामलों में भी देश के अग्रणी चिकित्सा संस्थानों की कतार में शामिल हो चुका है।

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