
भोपाल । मध्यप्रदेश पुलिस अब केवल कानून-व्यवस्था की प्रहरी नहीं, बल्कि संवेदनशील संवाद और सामाजिक समरसता की प्रतीक बन चुकी है। पुलिस महानिदेशक श्री कैलाश मकवाणा के मार्गदर्शन में नागरिक–पुलिस संवाद, पारिवारिक सौहार्द और महिला सुरक्षा को लेकर चलाए जा रहे अभियानों के सकारात्मक परिणाम अब सामने आने लगे हैं। विदिशा की “पुलिस पंचायत” और टीकमगढ़ की नवपहल ऐसी दो मिसालें हैं, जिन्होंने रिश्तों में फिर से मिठास घोली और पुलिस पर जनता का भरोसा और गहरा किया है।
विदिशा की पुलिस पंचायत रिश्तों में लौटी मिठास
विदिशा में शुरू हुई पुलिस पंचायत अब पारिवारिक विवादों के निपटारे की सफल पहल बन चुकी है। अब तक हुई 34 बैठकों में 98 प्रकरणों की सुनवाई हुई, जिनमें से 72 का शांतिपूर्ण समाधान किया गया। पुलिस अधीक्षक रोहित काशवानी और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ. प्रशांत चौबे के नेतृत्व में गठित कमेटी संवाद और सहानुभूति से परिवारों को फिर से जोड़ रही है। इस पहल ने साबित किया है कि संवेदनशील पुलिसिंग से समाज में विश्वास और सौहार्द दोनों संभव हैं।
टीकमगढ़ की नवपहल महिला सुरक्षा की नई दिशा
टीकमगढ़ में नवपहल अभियान ने महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण की दिशा में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ दर्ज की हैं। एसपी मनोहर सिंह मंडलोई के नेतृत्व में जिले में महिला अपराधों में 37% की कमी आई है।
शीलभंग मामलों में 21.3% कमी
दहेज प्रताड़ना में 50.5% कमी
भ्रूण हत्या मामलों में 42.8% कमी
परी, भरोसा, सहारा, आसरा और परिवार जोड़ो जैसे अभियानों से हजारों महिलाओं और बच्चियों को आत्मरक्षा, विधिक सहायता और आर्थिक सहयोग मिला है।
जनभरोसे की पुलिस
इन पहलों ने यह सिद्ध किया है कि मध्यप्रदेश पुलिस अब जनभरोसे की पुलिस के रूप में कानून से अधिक संवाद और संवेदना की ताकत से समाज को जोड़ रही है, जहाँ हर नागरिक सुरक्षित, सम्मानित और सुना जा रहा है।



