सरस्वती शिशु मंदिर: शिक्षा और संस्कार का संगम, मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने की 25 लाख के ऑडिटोरियम की घोषणा

भोपाल। सरस्वती शिशु मंदिर न केवल शिक्षा का केंद्र है, बल्कि बच्चों में संस्कार और अनुशासन की नींव रखने वाला संस्थान भी है। यह विचार खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने राहतगढ़ के सरस्वती शिशु मंदिर के वार्षिक उत्सव में व्यक्त किए। उन्होंने कहा, “यहां बच्चों को सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक के मंत्र सिखाए जाते हैं, जो उनके जीवन को दिशा देते हैं।”
मंत्री ने सरस्वती शिशु मंदिर को सामाजिक शिक्षण संस्थान बताते हुए कहा कि यहां शिक्षा के साथ-साथ राष्ट्रभक्ति, समाज के प्रति दायित्व, अनुशासन, वैदिक मंत्र उच्चारण और आधुनिक तकनीकी शिक्षा प्रदान की जाती है। वार्षिक उत्सव के दौरान बच्चों ने जो सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए, उनमें समाज को प्रेरित करने वाले संदेश छिपे थे।
ऑडिटोरियम निर्माण के लिए 25 लाख की घोषणा
मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कार्यक्रम के दौरान सरस्वती शिशु मंदिर प्रबंधन की मांग पर 25 लाख रुपए की लागत से ऑडिटोरियम निर्माण की घोषणा की। उन्होंने कहा, “मेरे अपने बच्चे भी सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़े हैं, इसलिए इस संस्थान से मेरा विशेष लगाव है। भविष्य में भी स्कूल की सभी आवश्यकताओं के लिए हरसंभव सहयोग दिया जाएगा। सरस्वती शिशु मंदिर देश का भविष्य संवारने का कार्य कर रहा है।”
छात्रों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की सराहना
छात्र-छात्राओं द्वारा वार्षिक उत्सव में प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों को मंत्री ने सराहा। उन्होंने कहा कि इन प्रस्तुतियों में स्वच्छता और सामाजिक संदेश प्रमुखता से दिखा, जो सरस्वती शिशु मंदिर के शिक्षकों और प्रबंधन की सजगता को दर्शाता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान का जिक्र करते हुए कहा कि इस अभियान के प्रति बच्चों की जागरूकता काबिले तारीफ है।
विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति
कार्यक्रम में सरस्वती शिशु मंदिर संचालन समिति के अध्यक्ष उमाकांत सोनी, उपाध्यक्ष सीताराम विश्वकर्मा, सचिव अमित चौधरी, मंडल अध्यक्ष अमित राय, भाजपा नेता विनोद ओसवाल, विनोद कपूर सहित बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी और अभिभावक उपस्थित रहे।