गोहद में सरस्वती शिशु मंदिर बना जुआ-शराब का अड्डा, शिक्षा का मंदिर खंडहर में तब्दील

गोहद (भिंड)। गोहद नगर के वार्ड क्रमांक 5 में स्थित सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय की बदहाल स्थिति आज न केवल स्थानीय प्रशासन बल्कि पूरे समाज के लिए गंभीर चेतावनी बन चुकी है। जिस विद्यालय की स्थापना वर्ष 1990 में दानदाताओं द्वारा 1 बीघा भूमि दान कर बच्चों को शिक्षा, संस्कार और राष्ट्रनिर्माण का पाठ पढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी, वही विद्यालय आज जुआ, शराब और असामाजिक गतिविधियों का स्थायी अड्डा बन गया है।

दानदाता परिवार के सदस्य गौरव राज सोनी के अनुसार यह विद्यालय वर्ष 2014 से बंद पड़ा है। विद्यालय बंद होने के बाद न तो इसे दोबारा संचालित करने की कोई ठोस पहल की गई और न ही परिसर की सुरक्षा के लिए प्रभावी व्यवस्था की गई। परिणामस्वरूप शिक्षा का यह मंदिर धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो गया।

स्थानीय लोगों के मुताबिक विद्यालय का फर्नीचर चोरी हो चुका है, बाउंड्री वॉल तोड़ दी गई है, दीवारों की ईंटें उखाड़ ली गई हैं और पूरी इमारत असामाजिक तत्वों के लिए खुला मैदान बन चुकी है। सबसे गंभीर तथ्य यह है कि यहां जुआ और शराब का खुला खेल चलता है। पुलिस द्वारा कई बार जुआरियों को पकड़े जाने के बावजूद यह अवैध गतिविधियां रुक नहीं रही हैं।

इलाके के नागरिकों का कहना है कि शाम होते ही क्षेत्र में भय का माहौल बन जाता है। महिलाएं उस रास्ते से गुजरने में असहज महसूस करती हैं और बच्चों को अकेले बाहर भेजना जोखिम भरा हो गया है। लोग खुद को असुरक्षित मान रहे हैं।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि विद्यालय समिति, शिक्षा विभाग और प्रशासन अब तक मौन क्यों हैं? स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासनिक उदासीनता ही इस स्थिति की मुख्य वजह है।

गोहद के नागरिकों की स्पष्ट मांग है कि विद्यालय परिसर को तुरंत असामाजिक तत्वों से मुक्त कर स्थायी सुरक्षा व्यवस्था लागू की जाए, ताकि इसे फिर से शिक्षा या सामाजिक उपयोग में लाया जा सके और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय हो।

यह सिर्फ एक विद्यालय का मामला नहीं, बल्कि समाज के भविष्य और बच्चों की सुरक्षा से जुड़ा गंभीर सवाल है। अब निगाहें प्रशासन पर टिकी हैं—क्या सरस्वती शिशु मंदिर फिर से शिक्षा का केंद्र बनेगा या अपराध का अड्डा बना रहेगा?

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