पदोन्नति की समस्या सिर्फ कर्मचारियों के लिए
भोपाल। मंत्रालय सेवा अधिकारी/कर्मचारी संघ के अध्यक्ष इंजी. सुधीर नायक ने पदोन्नति की मौजूदा विसंगतियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को तहसीलदार की तनख्वाह देकर पटवारी का काम कराया जाए, तो यह वित्तीय अपराध की श्रेणी में आएगा और इस पर ऑडिट आपत्ति भी होगी। लेकिन वर्तमान में यही स्थिति कर्मचारियों के साथ हो रही है। कर्मचारियों को तीसरा और चौथा समयमान वेतनमान मिलने के बावजूद उनसे प्रथम और द्वितीय स्तर के कार्य लिए जा रहे हैं। नियमों के अनुसार, समयमान वेतनमान उन्हीं को दिया जाता है जो पदोन्नति की शर्तें पूरी करते हैं और इसके लिए बाकायदा डीपीसी (विभागीय पदोन्नति समिति) भी होती है। ऐसे में यदि कर्मचारी समयमान वेतनमान की पात्रता पूरी कर चुके हैं, तो उन्हें पदोन्नति का पदनाम और कार्य क्यों नहीं दिया जाता?
नायक ने बताया कि सामान्य प्रशासन विभाग इस संबंध में परिपत्र जारी कर चुका है और कई विभागों जैसे राज्य प्रशासनिक सेवा, कोष एवं लेखा, स्वास्थ्य, शिक्षा और जनजातीय कार्य विभाग में यह व्यवस्था लागू भी की जा चुकी है। फिर भी अनेक विभाग बहाने बनाकर कर्मचारियों को उनका हक नहीं दे रहे। उन्होंने आरोप लगाया कि असल समस्या केवल छोटे कर्मचारियों के लिए है। प्रथम और द्वितीय श्रेणी अधिकारियों को नियमित पदोन्नति न मिलने पर समयमान के माध्यम से पदनाम और पदोन्नति दोनों मिल जाते हैं। जबकि कर्मचारियों को समयमान के बावजूद उच्च पदनाम नहीं दिया जाता, जिससे वे दोहरी मार झेल रहे हैं। संघ ने स्पष्ट किया कि सरकार को सभी विभागों में यह व्यवस्था अनिवार्य रूप से लागू करनी चाहिए ताकि कर्मचारियों की पदोन्नति समस्या का स्थायी समाधान हो सके और उनके साथ हो रहे भेदभाव पर रोक लगाई जा सके।
तनख्वाह तहसीलदार की और काम पटवारी का
