सरकारी कर्मचारियों के अवकाश नियमों में कटौती पर बवाल: कर्मचारी संगठनों ने सरकार पर लगाया तानाशाही का आरोप

भोपाल । मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 48 साल बाद अवकाश नियमों में किए गए बदलाव पर प्रदेशभर में नाराज़गी तेज हो गई है। कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि सरकार ने न तो कर्मचारियों से सुझाव लिए और न ही चर्चा की। नए अवकाश नियमों को कर्मचारी संगठनों ने तानाशाही फैसला बताया है।
भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने 1977 से लागू सिविल सेवा अवकाश नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए अवकाश सेवा नियम 2025 लागू कर दिए हैं, जो 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होंगे। कर्मचारियों का आरोप है कि यह निर्णय बिना किसी सलाह-मशविरा और सुझाव के अचानक लागू कर दिया गया, जिससे लाखों सरकारी कर्मचारियों के अधिकारों पर सीधा असर पड़ेगा।

मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच ने इन बदलावों का तीखा विरोध किया है और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि इन नियमों पर तुरंत पुनर्विचार किया जाए। मंच के प्रदेश अध्यक्ष अशोक पांडे ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि सरकार ने चाइल्ड केयर लीव, सेरोगेसी अवकाश, दत्तक संतान अवकाश, गर्भपात अवकाश, अर्जित अवकाश, स्टडी लीव और मेडिकल लीव सहित लगभग सभी श्रेणियों में कटौती कर दी है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि इन बदलावों से कर्मचारियों के वास्तविक अवकाश अधिकार कम हो जाएंगे और अधिकांश कर्मचारियों को आवश्यकता के समय छुट्टी नहीं मिल पाएगी।

कर्मचारी मंच ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने अवकाश नियमों पर पुनर्विचार नहीं किया, तो प्रदेशभर में प्रांतव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा। कर्मचारी संगठनों ने कहा कि अवकाश कर्मचारियों का अधिकार है, किसी भी प्रकार की कटौती से उनका सामाजिक और पारिवारिक जीवन प्रभावित होगा।

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