भोपाल। सनातन संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा को नई दिशा देने वाले स्वामी अवधेशानंद जी गिरी (आचार्य महामंडलेश्वर, जूनापीठाधीश्वर) की प्रेरणा से मल्हारगंज, इंदौर में एक अद्वितीय कार्य सम्पन्न हुआ। यहाँ रामायण को 108 पत्थरों पर अंकित किया गया, जो अपनी तरह का दुर्लभ आध्यात्मिक प्रयास है।
जानकारी के अनुसार संसार पुस्तक द्वारा यह पहल की गई है। इससे पूर्व जगत के प्रथम रामभक्त हनुमान जी ने त्रेतायुग में अपने नखों से पत्थरों की शिलाओं पर रामायण अंकित की थी। उसी परंपरा को अब आधुनिक तकनीक के सहारे पुनः जीवित किया गया है। कुल 108 पत्थरों पर लेजर तकनीक और PLT फाइल की मदद से रामायण के संक्षिप्त प्रसंगों को चित्रों के माध्यम से उकेरा गया है। हर पत्थर लगभग 4 इंच लंबा और चौड़ा है।इस कार्य को पूर्ण करने में विशेष समय और श्रम लगा। पत्थरों की कटाई में 2 घंटे 35 मिनट, पीएलटी फाइल तैयार करने में 3 घंटे 40 मिनट और छपाई प्रक्रिया में 5 घंटे 20 मिनट लगे। आर्थिक वहन स्वामी अवधेशानंद जी गिरी द्वारा ही किया गया।रामायण का यह दुर्लभ पत्थर संस्करण कनखल, हरिद्वार के आदेश पर इंदौर में सम्पन्न हुआ। इसे देखने वाले श्रद्धालु और शोधार्थी इसे रामायण के संरक्षण और सनातन संस्कृति की अमूल्य धरोहर मान रहे हैं। इस अनोखी पहल से न केवल रामायण की महत्ता को नए आयाम मिले हैं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की दिव्यता और अध्यात्मिकता को भी विश्व पटल पर प्रस्तुत करने का प्रयास है।
108 पत्थरों पर रामायण अंकित
