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शिक्षकों की ई-अटेंडेंस पर उठे सवाल, नारायण सिंह पट्टा ने RTI में मांगी शिक्षा विभाग से जानकारी

भोपाल। जनजातीय कार्य विभाग की ई-अटेंडेंस प्रणाली को लेकर अब सवालों का दौर शुरू हो गया है। कांग्रेस विधायक नारायण सिंह पट्टा ने शिक्षा विभाग से सूचना के अधिकार (RTI) के तहत विस्तृत जानकारी मांगी है। उनका कहना है कि यह प्रणाली शिक्षकों पर अनावश्यक तकनीकी दबाव डाल रही है और इससे शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है।

पट्टा ने अपने आवेदन में विभाग से पाँच प्रमुख बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है कि  क्या सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों के लिए मोबाइल उपयोग की अनुमति है या नहीं, और इस संबंध में विभाग की क्या नीति है।  क्या शिक्षक लगातार मोबाइल के माध्यम से डेटा, फोटो, रिपोर्ट और आयोजनों की जानकारी भेजने में व्यस्त रहते हैं, जिससे पढ़ाई पर असर पड़ रहा है? यदि हां, तो विभाग इस स्थिति से निपटने के लिए क्या योजना बना रहा है? जब शिक्षक अपने निजी मोबाइल और इंटरनेट डेटा का उपयोग विभागीय कार्यों के लिए करते हैं, तो क्या विभाग उन्हें मोबाइल भत्ता देता है? यदि नहीं, तो क्या इस पर कोई विचार हो रहा है?
यदि किसी शिक्षक की तकनीकी कारणों से ई-अटेंडेंस दर्ज नहीं हो पाती, तो क्या उसकी मैनुअल उपस्थिति मान्य होगी या बिना सुनवाई वेतन कटौती की जाएगी? अंत में उन्होंने पूछा कि ई-अटेंडेंस के लिए उपयोग किया जाने वाला eHRMS एप कितना सुरक्षित और विश्वसनीय है, और क्या इससे शिक्षकों की व्यक्तिगत जानकारी या वित्तीय डाटा के दुरुपयोग का खतरा नहीं है?

पट्टा ने कहा कि शिक्षा का केंद्र छात्र होना चाहिए, न कि ऐप पर उपस्थिति। तकनीक सहायक हो सकती है, बाधा नहीं। अब शिक्षा विभाग पर निगाहें हैं कि वह इस RTI के जवाब में ई-अटेंडेंस नीति पर कितनी पारदर्शिता दिखाता है।

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