जबलपुर हाई कोर्ट के दोहरे मापदंड पर उठे सवाल: गोवर्धन पूजा पर सूरज मिश्रा की हत्या, लेकिन न्याय जाति देखकर?

Jabalur . मध्यप्रदेश के जबलपुर से एक बार फिर न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं। गोवर्धन पूजा करने पर ब्राह्मण युवक सूरज मिश्रा की निर्मम हत्या के बाद भी अदालतों की चुप्पी और प्रशासनिक उदासीनता ने आमजन को झकझोर दिया है। वहीं दूसरी ओर, मामूली धार्मिक मामलों पर अदालतें तत्परता से NSA तक की कार्रवाई कर देती हैं।


जबलपुर में गोवर्धन पूजा के अवसर पर हुए विवाद में सूरज मिश्रा को कुल्हाड़ी से काट डाला गया, लेकिन घटना के इतने दिनों बाद भी कोई कठोर कार्रवाई नहीं हुई। यह सवाल खड़ा करता है कि क्या न्याय अब जाति देखकर दिया जा रहा है? सामाजिक संगठनों का आरोप है कि जब किसी अन्य वर्ग से जुड़ा मामला होता है, तो प्रशासन तत्परता से कार्यवाही करता है, मगर ब्राह्मण समाज के उत्पीड़न पर चुप्पी साध ली जाती है।

लोगों का कहना है कि जब किसी संत या धार्मिक व्यक्ति के पैर धुलवाने जैसी मामूली घटना होती है, तब अदालतें तत्काल संज्ञान लेती हैं, लेकिन हत्या जैसे जघन्य अपराधों में भी निष्पक्ष कार्रवाई नहीं होती। न्यायिक निष्पक्षता पर यह सवाल उठाता है कि क्या भारत में अपराधीअब कर्म से नहीं, बल्कि जाति से तय हो रहा है?

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