आईएएस संतोष वर्मा पर बढ़ा दबाव: सड़क से लेकर कोर्ट तक होगा संघर्ष, निलंबन व गिरफ्तारी की उठी मांग

भोपाल। ब्राह्मण समाज की बेटियों के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी करने वाले आईएएस संतोष वर्मा के विरुद्ध मध्य प्रदेश सवर्ण अधिकारी-कर्मचारी संघर्ष मोर्चा ने बड़ा आंदोलन शुरू कर दिया है। मोर्चा ने स्पष्ट कहा है कि आईएएस संतोष वर्मा की खिलाफ सड़क पर भी लड़ेंगे और कोर्ट में भी लड़ेंगे। संगठन ने तत्काल निलंबन और गिरफ्तारी की मांग करते हुए विरोध को तेज कर दिया है।

तुलसी नगर में फोटो पर कालिख पोतकर भड़का गुस्सा

संघर्ष मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने सेकेंड स्टाफ, तुलसी नगर में आईएएस संतोष वर्मा की तस्वीर पर कालिख पोतकर विरोध दर्ज कराया। प्रदर्शन के दौरान संतोष वर्मा मुर्दाबाद,  राज्य सरकार होश में आओ, बेटियों का अपमान बंद करो जैसे नारे गूंजते रहे।
पदाधिकारियों ने कहा कि यह कोई शौक नहीं बल्कि मजबूरी है, आंदोलन बहुत जरूरी है। उन्होंने मांग उठाई कि संतोष वर्मा को तुरंत निलंबित कर गिरफ्तार किया जाए। अशोक पांडे, सुनील पाठक, भूपेंद्र पांडे, लवप्रकाश पाराशर, हरिसिंह गुर्जर, नंदलाल मालवीय, श्यामलाल विश्वकर्मा सहित दर्जनों पदाधिकारी इस विरोध में शामिल रहे।

संगठन ने लगाए गंभीर आरोप  कहा कि सरकार गुमराह कर IAS अवार्ड लिया। संघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक पांडे ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर संतोष वर्मा पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि संतोष वर्मा ने सरकार को गुमराह कर आईएएस अवार्ड हासिल किया। वह छह माह की जेल भी काट चुके हैं। पूर्व में चार महिलाओं के शारीरिक शोषण के आरोपों की भी जांच होनी चाहिए।पांडे ने कहा कि बेटियों के खिलाफ दिया गया बयान सिविल सेवा के आचरण नियमों का घोर उल्लंघन है। ऐसा बयान देकर उन्होंने समाज, कर्मचारी वर्ग और सवर्ण समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।

समाज में उबाल, सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग

प्रेस बयान में कहा गया कि मध्य प्रदेश का पूरा समाज, ब्राह्मण समाज और कर्मचारी वर्ग इस बयान से आक्रोशित है। आईएएस वर्मा के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई की मांग की जा रही है।
संगठन का कहना है कि संतोष वर्मा को तुरंत निलंबित किया जाए । गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए। उनके बयान पर सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में कोई भी अधिकारी या नेता इस तरह का घृणित बयान देने का साहस न कर सके मोर्चा का साफ कहना है कि यह मामला सिर्फ एक समाज का नहीं, बल्कि बेटियों की सम्मान-रक्षा का है और इसके लिए संघर्ष सड़क से न्यायालय दोनों जगह जारी रहेगा।

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