शहडोल/भोपाल। मध्यप्रदेश में शिक्षा का स्तर सुधारने की बात हो रही है, मगर शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल, शहडोल में जो “रंगीन कारनामा” हुआ है, उसने शिक्षा की नहीं बल्कि घोटालों की परिभाषा बदल दी है।
4 लीटर पेंट से स्कूल की दीवार चमकाने के लिए 168 मजदूर और 65 मिस्त्री लगाए गए — और इसका कुल खर्च दर्ज हुआ ₹1,06,000! अब या तो यह दीवार नहीं, कोई भव्य ऐतिहासिक इमारत थी, या फिर यह पेंट नहीं बल्कि सोने का लेप था!
आंकड़े जो चौंकाते नहीं, हँसाते हैं:
पेंट की मात्रा: मात्र 4 लीटर
मजदूर: 168
मिस्त्री: 65
कुल खर्च: ₹1,06,000
स्थान: शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल, शहडोल
यदि गणित की किताबों में यह उदाहरण पढ़ाया जाए तो बच्चे तय नहीं कर पाएंगे कि यह हास्य व्यंग्य है या भ्रष्टाचार की गंभीर कहानी
शिक्षा अधिकारी और प्राचार्य शुक्ला जी की “शिक्षा” पर प्रश्नचिन्ह
इस घोटाले के सामने आने के बाद सवाल सीधे-सीधे प्राचार्य शुक्ला जी और शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों पर उठ रहे हैं। आखिर इस अनोखी पुताई योजना को पास करने में किस ‘बुद्धि’ का इस्तेमाल हुआ? कहीं योजना यह तो नहीं थी कि मजदूर दीवार की जगह एक-दूसरे को पेंट कर रहे थे?
स्कूल या ताजमहल?
व्यंग्य में लोग अब इस स्कूल की तुलना ताजमहल से कर रहे हैं। “ऐसे स्कूल को तो यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में डाल देना चाहिए,” सोशल मीडिया पर यूज़र्स लिख रहे हैं। क्योंकि जहाँ 4 लीटर पेंट में 233 लोगों ने मेहनत की हो, वहाँ दीवार नहीं, भ्रष्टाचार की दीवार तैयार होती है — मजबूत, रंगीन और जवाबदेही से दूर।
अब तक की प्रशासनिक प्रतिक्रिया?
अब तक किसी शिक्षा अधिकारी या प्राचार्य का बयान नहीं आया है, और न ही कोई जाँच टीम स्कूल भेजी गई है। लेकिन विभागीय सूत्रों के अनुसार मामला जाँच के घेरे में है और DPI द्वारा रिपोर्ट तलब की जा सकती है।
निष्कर्ष:
मध्यप्रदेश के शिक्षा विभाग में यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि कैसे छोटे से कार्य में भी घोटालों की बड़ी संभावनाएं छिपी होती हैं।* यदि 4 लीटर पेंट पर ₹1 लाख खर्च हो सकते हैं, तो शिक्षा के नाम पर मिलने वाले करोड़ों का उपयोग किस प्रकार हो रहा है — यह समझना अब मुश्किल नहीं।
मध्यप्रदेश के शिक्षा विभाग में ‘पेंट घोटाला’: 4 लीटर पेंट के लिए 168 मजदूर और 65 मिस्त्री, लागत ₹1.06 लाख!
