1 दिसम्बर से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी शुरू

गोविंद सिंह राजपूत ने जारी की एमएसपी उपार्जन नीति, किसानों को मिलेगी औसत अच्छी गुणवत्ता की फसल का पूरा मूल्य

भोपाल। खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने धान, ज्वार और बाजरा की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदी की नीति जारी कर दी है। राज्य में ज्वार और बाजरा की खरीदी 24 नवम्बर से 24 दिसम्बर 2025 तक की जाएगी, जबकि धान की खरीदी 1 दिसम्बर 2025 से 20 जनवरी 2026 तक चलेगी। उपार्जन कार्य सप्ताह के सोमवार से शुक्रवार तक संचालित रहेगा। खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने सभी कलेक्टर्स, नागरिक आपूर्ति निगम एवं वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि उपार्जन नीति का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि किसानों के हितों से जुड़ी इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की लापरवाही मिलने पर संबंधित अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। राज्य में MSP पर उपार्जन के लिए मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज़ कॉर्पोरेशन को नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है। आवश्यकतानुसार केंद्र और राज्य की अन्य अधिकृत एजेन्सियों को भी उपार्जन कार्य में शामिल किया जा सकेगा।


यह रहेगा फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)
धान (कॉमन): 2369 रुपये/क्विंटल
धान (ग्रेड-A): 2389 रुपये/क्विंटल
ज्वार मालदण्डी: 3749 रुपये/क्विंटल
ज्वार हाइब्रिड: 3699 रुपये/क्विंटल
बाजरा: 2775 रुपये/क्विंटल

किसानों की सुविधा पर आधारित उपार्जन केंद्र

उपार्जन केंद्रों का निर्धारण किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा। प्राथमिकता गोदाम/केप परिसर को दी जाएगी। जहाँ यह उपलब्ध नहीं होंगे, वहाँ समितियों और स्थानीय स्तर पर केंद्र स्थापित किए जाएंगे। केंद्रों की संख्या किसान पंजीयन, बोया गया रकबा और पिछले वर्ष के उपार्जन आंकड़ों के आधार पर तय की जाएगी।

बारदाना व्यवस्था और गुणवत्ता परीक्षण

धान उपार्जन हेतु 46% पुराने एवं 54% नए जूट बारदानों का उपयोग होगा। ज्वार और बाजरा पूरी तरह नए बारदानों में खरीदे जाएंगे। गुणवत्ता परीक्षण उपार्जन केंद्र पर संबंधित संस्था तथा भंडारण स्थलों पर उपार्जन एजेंसी द्वारा किया जाएगा। मण्डियों में FAQt मानक की फसल MSP से कम पर नहीं खरीदी जाएगी।


किसानों को उपार्जन केंद्र एवं तारीख चुनने के लिए स्लॉट बुकिंग करानी होगी। खाद्यान्न के परिवहन की जिम्मेदारी उपार्जन एजेंसी की होगी, जबकि धान को गोदाम से मिलर्स तक पहुँचाने की जिम्मेदारी मिलर्स निभाएंगे। सरकार का यह कदम किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य, पारदर्शी प्रक्रिया और समय पर भुगतान सुनिश्चित करने की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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