
भोपाल। आकस्मिक और आपातकालीन परिस्थितियों में जीवन रक्षक कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इसी को लेकर 13 से 17 अक्टूबर 2025 तक कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन सप्ताह मनाया जा रहा है। इस दौरान स्वास्थ्य संस्थानों में सीपीआर शपथ, चिकित्सकों, नर्सिंग ऑफिसर्स, पैरामेडिकल स्टाफ और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के लिए प्रशिक्षण, पोस्टर प्रतियोगिता और प्रश्नोत्तरी जैसी गतिविधियाँ आयोजित की जा रही हैं।
सीपीआर: अस्पताल पहुँचने से पहले जीवन रक्षक
डॉ. मनीष शर्मा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, भोपाल ने कहा कि अचानक हृदय गति रुक जाने पर कुछ ही मिनट में मस्तिष्क को नुकसान पहुँच सकता है। अस्पताल के बाहर होने वाली लगभग 70% हृदय गति रुकने की घटनाओं में तत्काल चिकित्सा उपलब्ध नहीं होती। ऐसे में सीपीआर देने से जीवित रहने की संभावना दो-तीन गुना तक बढ़ सकती है।
सीपीआर की सही तकनीक और दिशानिर्देश
किसी भी व्यक्ति को बेहोश मिलने पर पहले पल्स और सांस की जाँच करें। मरीज को सपाट जगह पर लेटाकर सीपीआर प्रारंभ करें।छाती के बीच में 1 मिनट में 100–120 बार लगातार दबाव दें, घुटनों पर बैठकर कोहनी सीधी रखें। दबाव की गहराई कम से कम 5 सेंटीमीटर होनी चाहिए। हर 30 दबाव के बाद 2 बार मुंह से सांस दें। प्रक्रिया तब तक जारी रखें जब तक मरीज की स्वाभाविक सांसें लौट न आएँ या चिकित्सकीय सहायता न मिल जाए। डॉ. सत्यजीत सिंह ने जयप्रकाश जिला चिकित्सालय में मैनिक्विन के माध्यम से लाइव डेमोंस्ट्रेशन कर चिकित्सकों को सीपीआर देने की व्यावहारिक तकनीक दिखाई।
सीपीआर प्रशिक्षण का महत्व
डॉ. मनीष शर्मा ने बताया कि सीपीआर अस्पताल पहुँचने से पहले जीवन बचाने वाला महत्वपूर्ण उपकरण है। सही तकनीक से दिया गया सीपीआर मस्तिष्क और महत्वपूर्ण अंगों में रक्त प्रवाह बनाए रखता है, जिससे मरीज की जीवित रहने की संभावना बढ़ती है।