भोपाल, । मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आबकारी नियमों की धज्जियां उड़ती नजर आ रही हैं। राज्य शासन द्वारा निर्धारित शराब बिक्री समय और दिशा-निर्देशों को ठेकेदारों द्वारा लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है, और हैरानी की बात यह है कि आबकारी विभाग और जिला प्रशासन आंखें मूंदे बैठे हैं। भोपाल के कई इलाकों में शराब दुकानें सुबह-सुबह और देर रात तक ‘सोमरस’ परोस रही हैं, और वह भी खुलेआम या पीछे की ‘खिड़की’ से।
गेहूखेड़ा, हबीबगंज और बिट्टन मार्केट की शराब दुकानों पर नियमों की खुलेआम अवहेलना
जानकारी के अनुसार, नयापुरा गेहूखेड़ा की शराब दुकान क्रमांक-1 पर सुबह 7 बजे से ही शराब की बिक्री चालू थी, जबकि विभागीय नियमों के अनुसार सुबह 11 बजे से पहले शराब की बिक्री प्रतिबंधित है। दुकान के पीछे बनी ‘खिड़की’ से ग्राहकों को शराब बेची जा रही थी, ताकि विभागीय निरीक्षण से बचा जा सके।
इसी प्रकार, हबीबगंज नाका स्थित दुकान पर तो दुकान के सामने ही खिड़की बना दी गई है, जहां से सीधे शराब दी जा रही है। दानापानी और बिट्टन मार्केट की दुकानों पर भी यही स्थिति देखने को मिली — समय से पहले बिक्री, ओवररेटिंग और खुली मनमानी।
ओवररेटिंग भी जारी, एमआरपी से अधिक दामों पर बिक रही शराब
इन दुकानों पर न सिर्फ अवैध समय में शराब बेची जा रही है, बल्कि ठेकेदार एमआरपी से ज्यादा दाम वसूल कर रहे हैं। ग्राहकों को तय मूल्य से ₹10 से ₹50 तक अधिक वसूले जा रहे हैं, और कोई शिकायत करने की स्थिति नहीं बन पाती क्योंकि बीट प्रभारी तक इस ‘खेल’ में मौन भागीदार नजर आते हैं।
आबकारी विभाग के ‘दिशा निर्देश’ सिर्फ कागजों तक?
सहायक आबकारी आयुक्त द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन अब आम हो गया है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि जब नियमों का पालन नहीं होना है तो उन्हें बनाने का औचित्य क्या है? यदि आबकारी विभाग को दुकानों की खिड़कियां नहीं दिखतीं, तो क्या यह प्रशासनिक उदासीनता नहीं?
बड़ा सवाल: जिला प्रशासन ‘मेहरबान’ है या ‘मूकदर्शक’?
इन अवैध गतिविधियों के चलते यह सवाल लगातार उठ रहा है — क्या जिला प्रशासन इस अवैध कारोबार पर जानबूझकर चुप है? क्या यह मिलीभगत का मामला है? यदि नहीं, तो कार्रवाई अब तक क्यों नहीं हुई?
भोपाल में आबकारी नियमों की खुल्लमखुल्ला उड़ रही धज्जियां, 24 घंटे बिक रही शराब, विभाग मौन
