कंबोडिया के 1100 साल पुराने प्रीह विहार मंदिर में गूंजा ‘ॐ नमः शिवाय

थाईलैंड-कंबोडिया सीमा विवाद के बीच हिंदू धरोहर पर फिर बढ़ी हलचल

नई दिल्ली । दक्षिण-पूर्व एशिया की प्राचीन हिंदू धरोहर एक बार फिर सुर्खियों में है। कंबोडिया में स्थित 1100 साल पुराना प्रीह विहार मंदिर—जो भगवान शिव को समर्पित है, एक बार फिर चर्चा में है। हाल ही में यहां ‘ॐ नमः शिवाय’ के आध्यात्मिक जाप का वीडियो सामने आया, जिसने सोशल मीडिया पर सनसनी मचा दी। इस मंदिर को लेकर थाईलैंड और कंबोडिया के बीच दशकों से सीमा विवाद जारी है, और ऐसे में मंदिर परिसर में शिव स्तुति का गूंजना विशेष महत्व रखता है।

क्या है प्रीह विहार मंदिर का ऐतिहासिक महत्व?

कंबोडिया के दंगरेक पर्वत (Dangrek Mountains) की ऊँचाई पर स्थित यह मंदिर 9वीं–10वीं शताब्दी में बनाया गया था और खमेर साम्राज्य की स्थापत्य कला का अनमोल उदाहरण है। प्रीह विहार को युनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त है। मंदिर की संरचनाओं, शिवालयों और गर्भगृह में भारतीय सभ्यता का गहरा प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। यही कारण है कि ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप यहां सांस्कृतिक जुड़ाव को और मजबूत करता है।

थाईलैंड और कंबोडिया क्यों लड़ रहे हैं इस मंदिर को लेकर?

• यह मंदिर पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और इसका प्रवेश द्वार थाईलैंड की ओर पड़ता है।
• 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने मंदिर का स्वामित्व कंबोडिया को दिया था, लेकिन आसपास की भूमि पर विवाद बना रहा।
• 2008 में मंदिर को युनेस्को हेरिटेज घोषित किए जाने के बाद विवाद और बढ़ गया, जिसके चलते दोनों देशों के सैनिक यहां कई बार आमने-सामने आए।

हालाँकि हाल के वर्षों में शांति बनी हुई है, लेकिन यह क्षेत्र अभी भी राजनीतिक-भौगोलिक तनाव का केंद्र बना हुआ है।


ॐ नमः शिवाय जाप का सांस्कृतिक संदेश

मंदिर में शिव नाम का गूंजना न केवल आध्यात्मिक शांति का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि दक्षिण-पूर्व एशिया में भारतीय सभ्यता और सनातन संस्कृति की जड़ें कितनी गहरी हैं। धार्मिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह जाप इस प्राचीन धरोहर को वैश्विक ध्यान में लाने का अवसर भी देता है।

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