भोपाल। विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) ने जिला सहकारी एवं ग्रामीण विकास बैंक के अधिकारियों को पद के दुरुपयोग और षड्यंत्रपूर्वक भ्रष्टाचार करने के मामले में दोषी पाते हुए कड़ी सजा सुनाई है। मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश मनोज कुमार सिंह ने की।
दोषियों को सजा और जुर्माना
जनसंपर्क अधिकारी मनोज त्रिपाठी ने बताया कि दोषी अधिकारी हरिहर प्रसाद मिश्रा, सुरेश कुमार ममतानी, अशोक कुमार मिश्रा, ए.पी.एस. कुशवाहा, और नदीम खान को विभिन्न धाराओं में दोषी ठहराया गया।
धारा 420 और 120-बी (भादवि): 3 वर्ष का सश्रम कारावास और ₹2,000 का अर्थदंड।
धारा 467, 471, 13-1(डी), और 13(2) पीसी एक्ट: प्रत्येक धारा में 3 वर्ष का सश्रम कारावास और ₹8,000 का अर्थदंड।
घटना का विवरण
घटना 2007 की है, जब भोपाल के ग्राम जमोनिया छीर के किसान हीरालाल की 7.30 एकड़ कृषि भूमि, जिसकी बाजार कीमत लगभग ₹23.64 लाख थी, को अवैध रूप से मात्र ₹50,000 में नीलाम कर दिया गया।
किसान ने 1995 में मोटर और पंप के लिए ऋण लिया था, जिसकी शेष राशि मात्र ₹2,700 थी।
बिना विधिवत सूचना दिए, आरोपी अधिकारियों ने बंधक भूमि को बेहद कम कीमत पर नीलाम कर दिया।
नीलामी प्रक्रिया के लिए कूटरचित दस्तावेज तैयार किए गए और अवैध रूप से नीलामी की पुष्टि के आदेश पारित किए गए।
जांच और न्यायालय का फैसला
किसान हीरालाल की शिकायत पर लोकायुक्त पुलिस ने जांच शुरू की। जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया।
विशेष लोक अभियोजक हेमलता कुशवाहा और राम कुमार खत्री ने अदालत में प्रभावी पैरवी की।
अभियोजन के ठोस साक्ष्य और दस्तावेजों के आधार पर अदालत ने सभी आरोपियों को दोषी ठहराया और उन्हें सजा सुनाई।
प्रकरण का महत्व
यह मामला सरकारी अधिकारियों द्वारा किसानों के अधिकारों के हनन और भ्रष्टाचार के खिलाफ न्याय की एक मिसाल बन गया है।
षड्यंत्र और पद के दुरुपयोग में दोषी अधिकारियों को सजा, किसानों की भूमि के अवैध नीलामी का मामला
