झुंझुनू (राजस्थान)। राजस्थान के झुंझुनू जिले में हाल ही में बनी एक सड़क पहली ही बारिश में धराशायी हो गई। उद्घाटन से पहले ही बह चुकी यह सड़क न केवल घटिया निर्माण की कहानी कहती है, बल्कि सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार और लापरवाही की गहरी जड़ों को भी उजागर करती है।
सड़क निर्माण पर लाखों रुपए खर्च किए गए थे, लेकिन बारिश की कुछ बूँदों ने ही इस ‘विकास’ की हकीकत उजागर कर दी। जिस सड़क को वर्षों तक टिकाऊ बनना चाहिए था, वह चंद घंटों में बह गई। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि निर्माण सामग्री से लेकर निरीक्षण तक, हर स्तर पर गंभीर अनियमितताएँ हुई हैं।
जनता के पैसों की बर्बादी, लेकिन जवाबदेही कौन लेगा?
यह महज एक निर्माण दुर्घटना नहीं, बल्कि आम नागरिकों की गाढ़ी कमाई से भरे सरकारी खजाने की खुली लूट है। यदि सड़क पहली ही बारिश नहीं झेल सकी, तो सवाल सिर्फ मौसम पर नहीं, सिस्टम की कार्यशैली पर भी उठते हैं।
कहाँ है गुणवत्ता जांच? किस इंजीनियर ने कार्य स्वीकृत किया? ठेकेदार कौन था? और प्रशासन ने क्या कार्रवाई की?
क्या होगी कार्रवाई या फिर दबा दिया जाएगा मामला?
अब जनता जानना चाहती है — क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी, या इस घटना को भी बाकी मामलों की तरह फाइलों में दबा दिया जाएगा? राजस्थान में अक्सर सड़कें बनने से पहले ही टूटने लगती हैं, लेकिन जिम्मेदार अफसरों और ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई के उदाहरण दुर्लभ हैं।
जनता का आक्रोश स्वाभाविक
स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि जब सड़कें महज दिखावे के लिए बनेंगी, और ठेकेदार-नेताओं की सांठगांठ से गुणवत्ता के नाम पर समझौता होगा, तो हर बारिश एक आपदा बन जाएगी।
निष्कर्ष:
पहली बारिश में अगर एक नई सड़क बह जाए, तो दोष सिर्फ मौसम का नहीं, बल्कि उस भ्रष्ट सिस्टम का है जो बिना डर के जनता के पैसों की बर्बादी करता है। अब वक्त है कि ऐसे मामलों में सख्त और सार्वजनिक कार्रवाई हो — ताकि भविष्य में कोई सड़क बहने से पहले जवाबदेही तय हो।
झुंझुनू में उद्घाटन से पहले ही बह गई नई सड़क – पहली बारिश ने खोल दी भ्रष्टाचार की पोल
