एम्स भोपाल में राष्ट्रीय मनोचिकित्सा सम्मेलन सम्पन्न: मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने पर केंद्रित दो दिवसीय आयोजन

भोपाल । एम्स भोपाल में 22 और 23 नवंबर 2025 को दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस महत्वपूर्ण सम्मेलन का उद्देश्य देश में मनोचिकित्सा (Psychotherapy) प्रशिक्षण को अधिक सुदृढ़ बनाना, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को रोगी-केंद्रित करना और चिकित्सा शिक्षा में आधुनिक शिक्षण-सीखने की विधियों को लागू करना था। आयोजन में देश-विदेश के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों और चिकित्सकों ने भाग लेकर मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
मनोचिकित्सा विभाग और राष्ट्रीय संगठनों का संयुक्त प्रयास
यह आयोजन एम्स भोपाल के मनोचिकित्सा विभाग, इंडियन साइकेट्रिक सोसाइटी मध्य प्रदेश चैप्टर (आइडियल साइकियाट्री वेलफेयर सोसाइटी), और इंडियन टीचर्स ऑफ साइकाइट्र्री (IToP) फोरम द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। आयोजन को इंफोसिस फाउंडेशन तथा माइंड्स यूनाइटेड फॉर हेल्थ साइंसेज एंड ह्यूमैनिटी ट्रस्ट का सहयोग भी मिला।
उद्घाटन सत्र: समग्र मानसिक स्वास्थ्य व्यवस्था पर जोर
सम्मेलन का उद्घाटन एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक एवं सीईओ प्रो. (डॉ.) माधवानंद कर ने किया। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को समग्र दृष्टिकोण से समझना और शिक्षण-प्रशिक्षण की गुणवत्ता सुधारना समय की आवश्यकता है। इस अवसर पर एम्स भोपाल के डीन (अकादमिक्स) प्रो. (डॉ.) रजनीश जोशी, यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के डॉ. मोहन इसाक, इंडियन साइकाइट्रिक सोसाइटी के पोस्टग्रेजुएट एजुकेशन सबकमेटी प्रमुख डॉ. किशोर एम, तथा IToP फोरम के मुख्य संयोजक डॉ. विनय एचआर सहित कई विशेषज्ञ उपस्थित रहे।
विशेषज्ञों के वीडियो संदेश ने बढ़ाया सम्मेलन का महत्व
कुछ विशेषज्ञ उपस्थित नहीं हो सके, लेकिन उन्होंने वीडियो संदेश साझा कर कार्यक्रम के उद्देश्यों का समर्थन किया। इनमें प्रो. (डॉ.) प्रतीमा मूर्ति – निदेशक, NIMHANS, प्रो. (डॉ.) बी.एन. गंगाधर – पूर्व निदेशक, NIMHANS व पूर्व चेयरमैन NMC, प्रो. (डॉ.) सविता मल्होत्रा – अध्यक्ष, इंडियन साइकिएट्रिक सोसाइटी, प्रो. (डॉ.) टी.एस.एस. राव – उपाध्यक्ष–कम–अध्यक्ष इलेक्ट, डॉ. सुजीत सरकार – एडिटर-इन-चीफ, इंडियन जर्नल ऑफ साइकियाट्री शामिल थे
मनोचिकित्सा प्रशिक्षण की चुनौतियाँ और समाधान
सम्मेलन में यह गंभीर मुद्दा सामने आया कि दुनिया भर में मनोचिकित्सा प्रशिक्षण सीमित होता जा रहा है, जबकि इसकी जरूरत लगातार बढ़ रही है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिए कि मनोचिकित्सा प्रशिक्षण के घंटे बढ़ाए जाएँ, प्रशिक्षण की गुणवत्ता और सुपरविजन को मजबूत किया जाए। देशभर में एक समान न्यूनतम दक्षता मानक लागू हों। व्यक्तित्व विकार (Personality Disorders) की थेरेपी को कोर प्रशिक्षण का अनिवार्य हिस्सा बनाया जाए
नई शिक्षण पद्धतियों और राष्ट्रीय मानकों पर विचार-विमर्श
कार्यक्रम में विभिन्न शिक्षण मॉडल, बाल एवं किशोर मनोचिकित्सा प्रशिक्षण के उन्नत ढांचे, तथा देशभर के प्रशिक्षण अनुभवों पर विस्तृत चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने मनोचिकित्सा प्रशिक्षण को राष्ट्रीय स्तर पर एकरूप बनाने पर सहमति जताई।
घोषणा पत्र जारी, शोध पत्र प्रस्तुति और सम्मान
सम्मेलन के दौरान इंडियन साइकाइट्रिक सोसाइटी और IToP फोरम के सुझावों पर आधारित एक सर्वसम्मत घोषणा पत्र जारी किया गया। विद्यार्थियों और प्रशिक्षु चिकित्सकों ने शोधपत्र भी प्रस्तुत किए। सर्वश्रेष्ठ शोधपत्र पुरस्कार NIMHANS के सेवानिवृत्त प्रो. डॉ. सी. श्याम सुंदरम द्वारा प्रायोजित किया गया।
दो महत्त्वपूर्ण कार्यशालाएँ: व्यवहारिक कौशल पर विशेष फोकस, कार्यक्रम में दो विशेष कार्यशालाएँ आयोजित की गईं—
1. मनोचिकित्सीय पुनर्वास एवं सामाजिक कौशल प्रशिक्षण
प्रतिभागियों ने इसे अत्यंत उपयोगी बताया, क्योंकि यह उपचार का व्यावहारिक आधार है।
2. मोटिवेशनल इंटरव्यूइंग कार्यशाला
प्रतिभागियों को सिखाया गया कि रोगियों में सकारात्मक व्यवहार परिवर्तन हेतु प्रभावी संवाद तकनीकों का कैसे उपयोग करें।
इसके अलावा, किंग्स कॉलेज लंदन की फैकल्टी डॉ. मरियाना पिंटो दा कोस्टा ने ऑनलाइन सत्र में विश्वभर में प्रारंभिक करियर मनोचिकित्सकों के प्रशिक्षण मॉडल साझा किए।
सम्मेलन का महत्व: मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ा कदम
यह दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने, डॉक्टरों को आधुनिक प्रशिक्षण उपलब्ध कराने और मरीजों को गुणवत्तापूर्ण उपचार देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ। सम्मेलन के निष्कर्ष आने वाले समय में मनोचिकित्सा शिक्षा, प्रशिक्षण और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को नई दिशा देंगे और देश में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता को और प्रबुद्ध करेंगे।





