
मनरेगा पर हमला महात्मा गांधी के विचारों और गरीबों के अधिकारों पर प्रहार – बी. के. हरिप्रसाद
भोपाल। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के निर्देशानुसार मध्यप्रदेश कांग्रेस कार्यालय, भोपाल में आयोजित पत्रकार वार्ता को कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) के सदस्य एवं पूर्व सांसद श्री बी. के. हरिप्रसाद ने संबोधित किया। उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि “सुधार” के नाम पर लोकसभा में पारित नए विधेयक के जरिए दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना मनरेगा को खत्म करने की साजिश रची जा रही है। इस अवसर पर राज्यसभा सांसद अशोक सिंह, प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग अध्यक्ष मुकेश नायक, तथा प्रदेश प्रवक्ता विक्रम चौधरी, अभिनव बरोलिया, प्रवीण धौलपूरे, राहुल राज और फिरोज सिद्दीकी उपस्थित रहे।
मनरेगा पर सुनियोजित हमला :, हरिप्रसाद
श्री हरिप्रसाद ने कहा कि मनरेगा महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज, श्रम की गरिमा और विकेंद्रीकृत विकास की अवधारणा का जीवंत उदाहरण रही है। लेकिन मोदी सरकार ने पहले महात्मा गांधी का नाम हटाया और अब 12 करोड़ से अधिक मनरेगा मजदूरों के अधिकार छीनने का काम किया है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 जैसी आपदा के समय मनरेगा ने करोड़ों ग्रामीण परिवारों को आर्थिक सुरक्षा दी थी, लेकिन आज उसी योजना को समाप्त करने का षड्यंत्र किया जा रहा है।
2014 से ही मनरेगा विरोधी रही है मोदी सरकार
बी. के. हरिप्रसाद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 से ही मनरेगा को “कांग्रेस की नाकामी की निशानी” बताया। बीते 11 वर्षों में केंद्र सरकार ने मनरेगा को कमजोर करने के लिए बजट में भारी कटौती, राज्यों के वैधानिक भुगतान रोकना, लाखों जॉब कार्ड रद्द करना आधार आधारित भुगतान अनिवार्य कर करीब 7 करोड़ मजदूरों को बाहर करना
जैसे कदम उठाए। परिणामस्वरूप, पिछले पांच वर्षों में मजदूरों को औसतन 50–55 दिन का ही काम मिल पाया।
मनरेगा पर मोदी सरकार के हमले के प्रमुख बिंदु
अधिकार से योजना तक गिरावट
मनरेगा, जो अनुच्छेद 21 के तहत अधिकार आधारित कानून था, अब इसे सशर्त और केंद्र-नियंत्रित योजना में बदला जा रहा है।
राज्यों पर आर्थिक बोझ
अब केंद्र सरकार मनरेगा का लगभग ₹50,000 करोड़ का बोझ राज्यों पर डालना चाहती है, जबकि श्रेय और नियंत्रण केंद्र के पास रहेगा। यह सहकारी संघवाद पर सीधा हमला है।
रोजगार पर सरकारी नियंत्रण
नई व्यवस्था में सरकार किसी भी समय रोजगार रोक सकती है। फंड खत्म होते ही मजदूरों को महीनों तक काम से वंचित किया जा सकता है।
विकेंद्रीकरण का अंत
ग्राम सभा और पंचायतों के अधिकार छीनकर डिजिटल सिस्टम, GIS मैपिंग और बायोमेट्रिक निगरानी थोप दी गई है, जिससे स्थानीय जरूरतें नजरअंदाज हो रही हैं।
मांग आधारित व्यवस्था समाप्त
मनरेगा की मांग आधारित प्रकृति खत्म कर इसे सीमित बजट वाली केंद्र-निर्धारित योजना बनाया जा रहा है, जिससे काम का कानूनी अधिकार समाप्त हो जाएगा।
ग्रामीण भारत पर खुला हमला
श्री हरिप्रसाद ने कहा कि रिकॉर्ड बेरोजगारी के दौर में ग्रामीण गरीबों की आखिरी आर्थिक सुरक्षा भी छीनी जा रही है। कांग्रेस पार्टी इस जन-विरोधी, मजदूर-विरोधी और संघीय ढांचे पर हमले का विरोध सड़क से संसद तक करेगी।
नेशनल हेराल्ड मामला : सच की जीत
पत्रकार वार्ता में श्री हरिप्रसाद ने नेशनल हेराल्ड केस पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि 12 वर्षों तक कांग्रेस को बदनाम करने के लिए गढ़ा गया यह मामला पूरी तरह ढह गया है। माननीय न्यायालय द्वारा ED का केस खारिज किया जाना मोदी-शाह की बदले की राजनीति पर करारा तमाचा है। उन्होंने कहा कि यह कभी कानून का मामला नहीं था, बल्कि श्रीमती सोनिया गांधी और श्री राहुल गांधी को डराने और बदनाम करने की साजिश थी।
न्यायालय के महत्वपूर्ण निष्कर्ष
CBI ने 2014-15 में FIR दर्ज करने से इनकार किया
ED ने वर्षों तक मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू नहीं की
2021 में अचानक केस दर्ज होना राजनीतिक प्रतिशोध
डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी अधिकृत शिकायतकर्ता नहीं
PMLA के तहत आवश्यक कानूनी मानक पूरे नहीं हुए
श्री हरिप्रसाद ने कहा कि राहुल गांधी से 50 घंटे की पूछताछ केवल मीडिया ट्रायल थी, लेकिन कांग्रेस न झुकी है और न झुकेगी।
कांग्रेस का संकल्प
उन्होंने कहा कि सच की जीत हुई है और सच की हमेशा जीत होगी। कोई भी एजेंसी लोकतंत्र और संविधान की आवाज़ को दबा नहीं सकती। कांग्रेस पार्टी लोकतंत्र, संविधान और संस्थाओं की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखेगी।



