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मध्य प्रदेश में पांडुलिपि धरोहर के संरक्षण और डिजिटलीकरण को नई गति, ज्ञान भारतम के साथ हुआ एमओयू

भोपाल ।।मध्य प्रदेश की समृद्ध और बहुमूल्य पांडुलिपि धरोहर के संरक्षण, पहचान, डिजिटलीकरण और शोध को लेकर एक महत्वपूर्ण पहल सामने आई है। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की महत्वाकांक्षी योजना ‘ज्ञान भारतम’ और मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग के बीच एक अहम समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह करार राज्य में उपलब्ध दुर्लभ पांडुलिपियों को संरक्षित कर उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुलभ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

19 दिसंबर को हुआ एमओयू पर हस्ताक्षर

यह समझौता 19 दिसंबर को ज्ञान भारतम कार्यालय में संपन्न हुआ। मध्य प्रदेश शासन की ओर से श्री प्रशांत सिंह बघेल, संयुक्त संचालक, मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड ने संस्कृति विभाग एवं पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय संचालनालय की ओर से एमओयू पर हस्ताक्षर किए। वहीं भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की ओर से श्री अनिर्बान दास, परियोजना निदेशक, ज्ञान भारतम ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए।

पांच प्रमुख वर्टिकल्स के माध्यम से होगा कार्य

एमओयू के अंतर्गत ज्ञान भारतम की पांच प्रमुख वर्टिकल्स के माध्यम से पांडुलिपि संरक्षण और डिजिटलीकरण का कार्य किया जाएगा। इस परियोजना में राष्ट्रीय स्तर पर मार्गदर्शन और तकनीकी सहयोग ज्ञान भारतम द्वारा प्रदान किया जाएगा, जबकि राज्य स्तर पर क्रियान्वयन की जिम्मेदारी मध्य प्रदेश शासन के पास रहेगी। इस परियोजना के लिए पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय संचालनालय के आयुक्त को राज्य नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।

पांच वर्षों तक प्रभावी रहेगा समझौता

यह एमओयू पांच वर्षों की अवधि के लिए मान्य रहेगा। इसके अंतर्गत राज्य में उपलब्ध दुर्लभ, प्राचीन और ऐतिहासिक पांडुलिपियों की वैज्ञानिक पहचान, संरक्षण, डिजिटलीकरण, शोध तथा जनसामान्य के लिए उनके प्रचार-प्रसार को सुनिश्चित किया जाएगा।

शोधार्थियों और संस्कृति प्रेमियों को मिलेगा लाभ

यह पहल न केवल मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत के संरक्षण में सहायक होगी, बल्कि शोधार्थियों, विद्यार्थियों, इतिहासकारों और संस्कृति प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण डिजिटल संसाधन भी सिद्ध होगी। डिजिटलीकरण के माध्यम से पांडुलिपियां सुरक्षित रहेंगी और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी सुलभ बनेंगी।

विरासत संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम

ज्ञान भारतम और मध्य प्रदेश शासन के बीच यह साझेदारी यह दर्शाती है कि आधुनिक तकनीक के माध्यम से प्राचीन ज्ञान परंपरा को संरक्षित कर वैश्विक मंच तक पहुंचाया जा सकता है। यह एमओयू राज्य की सांस्कृतिक पहचान को सुदृढ़ करने और भारत की ज्ञान परंपरा को नई पीढ़ी से जोड़ने में मील का पत्थर साबित होगा।

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