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भोपाल के सरकारी अस्पतालों में हुई ऑक्सीजन प्लांट्स की मॉक ड्रिल, ऑक्सीजन दबाव और शुद्धता की परखी गई क्षमता

भोपाल । राजधानी भोपाल के सभी प्रमुख शासकीय स्वास्थ्य संस्थानों में ऑक्सीजन आपूर्ति की क्षमता और शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। इस मॉक ड्रिल का मुख्य उद्देश्य पीएसए (Pressure Swing Adsorption) ऑक्सीजन प्लांट्स की कार्यक्षमता और बेडसाइड ऑक्सीजन आउटलेट्स पर ऑक्सीजन के दबाव एवं प्रवाह दर की सटीक जांच करना था।

मॉक ड्रिल का संचालन प्रत्येक अस्पताल के संस्थान प्रमुखों की निगरानी में पीएसए तकनीशियन द्वारा किया गया। चार घंटे तक चली इस प्रक्रिया में विशेष रूप से यह देखा गया कि पीएसए प्लांट से निकलने वाला ऑक्सीजन दबाव 4.6 बार तथा रोगी के बिस्तर तक पहुँचते-पहुँचते 4.2 बार बना रहता है या नहीं। इसके अतिरिक्त, अग्नि सुरक्षा और आपातकालीन प्रणालियों की भी जांच की गई, ताकि किसी भी आकस्मिक स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया दी जा सके।

भोपाल के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में सक्रिय ऑक्सीजन प्लांट्स की स्थिति:
जिला चिकित्सालय, भोपाल:
1000 एलपीएम के दो PSA प्लांट
6 किलोलीटर क्षमता वाला LMO (Liquid Medical Oxygen) प्लांट
सिविल अस्पताल, बैरागढ़ और केएनके:
बैरागढ़: 150 एलपीएम
केएनके: 500 एलपीएम PSA प्लांट और 1 किलोलीटर LMO प्लांट
गांधी मेडिकल कॉलेज:
5000 एलपीएम क्षमता का PSA ऑक्सीजन प्लांट
एम्स, भोपाल
1000 एलपीएम PSA प्लांट
कमला नेहरू गैस राहत, खुशीलाल आयुर्वेदिक संस्थान, रेलवे हॉस्पिटल, कस्तूरबा अस्पताल:
सभी में 500-500 एलपीएम के PSA प्लांट्स
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, कोलार:
150 एलपीएम ऑक्सीजन प्लांट
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, नज़ीराबाद:
250 एलपीएम PSA प्लांट
स्वास्थ्य विभाग की सतर्कता:
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि समय-समय पर इस प्रकार की मॉक ड्रिल आयोजित कर के ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम की नियमित जांच की जाती है। मॉक ड्रिल से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण कर रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी जाती है, ताकि आपात स्थिति में संसाधनों की पूरी क्षमता से उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।

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