गर्मियों में मानवता और पर्यावरण संरक्षण की अनोखी मिसाल: एमसीयू हिन्दी परिवार ने लगाए सकोरे और नि:शुल्क प्याऊ

भोपाल, मध्यप्रदेश। गर्मी की तपती दोपहरों में जहां आम लोग अपनी सुविधा के लिए छांव और ठंडे पेय की तलाश में रहते हैं, वहीं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (एमसीयू) में हिन्दी परिवार द्वारा मानवता और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक अनुकरणीय पहल की गई है। इस पहल के अंतर्गत मुख्य द्वार पर राहगीरों के लिए नि:शुल्क प्याऊ और परिसर में विभिन्न स्थानों पर पक्षियों के लिए पानी से भरे सकोरे लगाए गए हैं।

हिन्दी परिवार की सेवा भावना का उत्कृष्ट उदाहरण

हिन्दी परिवार के संस्थापक और छात्र प्रतिनिधि ओमकार अवस्थी के नेतृत्व में इस पहल को अंजाम दिया गया, जो पिछले वर्ष भी इसी प्रकार की सेवा कर चुके हैं। इस बार उन्होंने अपनी टीम के साथ इसे और विस्तारित किया है।

शुभारंभ समारोह में कुलसचिव डॉ. अविनाश वाजपेयी, संस्थागत अध्ययन निदेशक डॉ. आशीष जोशी, वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. संजीव गुप्ता, डॉ. अरुण खोबरे, लेफ्टिनेंट मुकेश चौरासे, और डॉ. राकेश पांडे ने भाग लिया और इस मानवीय प्रयास की सराहना की।

बेजुबानों के लिए पानी की व्यवस्था

इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. वाजपेयी ने कहा, “गर्मी में मनुष्य हो या पशु-पक्षी, सबको प्यास लगती है। पक्षी अपनी प्यास व्यक्त नहीं कर सकते, लेकिन यदि उन्हें कहीं सकोरे में पानी दिखे तो वे भी अपनी प्यास बुझा सकते हैं। यह कार्य वास्तव में मानवता की सेवा है।”

छात्रों की भागीदारी

इस आयोजन में हिन्दी परिवार से जुड़े कई छात्र-छात्राएं भी सक्रिय रूप से शामिल रहे, जिनमें अंकित सिंह चौहान, अनुज सिंह, आदित्य शर्मा, वैष्णवी जोशी, निमिषा शर्मा, शिवम् सिंह, तुषार खत्री, आदर्श दुबे, ज्योतिर्मय और शैलेन्द्र कुमार शामिल हैं। सभी ने मिलकर यह संदेश दिया कि युवाओं को न सिर्फ शिक्षा, बल्कि समाज और पर्यावरण के प्रति भी संवेदनशील होना चाहिए।

संवेदनशीलता और सेवा का संगम

यह पहल न सिर्फ गर्मियों में प्यासे राहगीरों और पक्षियों को राहत देती है, बल्कि समाज में सेवा और संवेदनशीलता की संस्कृति को भी मजबूत करती है। हिन्दी परिवार की यह जिम्मेदारी और सजगता, विश्वविद्यालय के छात्रों को एक सकारात्मक दिशा प्रदान करती है।

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