
राज्य स्तरीय कार्यशाला में महिला सशक्तिकरण और कुपोषण उन्मूलन पर जोर
भोपाल। मध्य प्रदेश में ग्रामीण महिलाओं की आजीविका सशक्तिकरण और पोषण सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए सामुदायिक पोषण वाटिका (Community Nutrition Garden – CNG) एक प्रभावी पहल के रूप में उभर रही है। इसी संदर्भ में राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें 450 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
यह कार्यशाला महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), GIZ इंडिया और प्रदान संस्था के सहयोग से भोपाल के विकास भवन सभागार, अरेरा हिल्स में आयोजित की गई। इसमें महिला स्व-सहायता समूह (SHG) की सदस्य, ग्राम रोजगार सहायक (GRS), सरपंच, जिला एवं जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और अन्य अधिकारी शामिल हुए।
कार्यशाला का उद्घाटन और प्रमुख घोषणाएं
कार्यशाला का शुभारंभ पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव श्रीमती दीपाली रस्तोगी और मनरेगा आयुक्त श्री अवि प्रसाद द्वारा किया गया। इस दौरान सामुदायिक पोषण वाटिका पर आधारित ई-लर्निंग मॉड्यूल और ज्ञान पुस्तिका का लोकार्पण किया गया, जिससे इस पहल को और गति मिलेगी।
इस अवसर पर आयुक्त मनरेगा श्री अवि प्रसाद ने कहा कि योजनाओं के माध्यम से महिला किसानों की आजीविका सुनिश्चित करने और उनके श्रम का उचित मूल्य दिलाने की दिशा में सोचना जरूरी है।
GIZ इंडिया के डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर श्री तपन गोपे ने जानकारी दी कि 2019 से अब तक 1,000 से अधिक सामुदायिक पोषण वाटिकाएँ स्थापित की जा चुकी हैं, जिससे 30,000 से अधिक SHG महिलाएँ लाभान्वित हुई हैं।
सामुदायिक पोषण वाटिका: महिला किसानों की सफलता की कहानियाँ
कार्यशाला में “स्टोरीज़ फ्रॉम ग्राउंड” सत्र खास आकर्षण रहा, जिसमें रीवा जिले के सिमरिया गाँव की स्व-सहायता समूह की सदस्य श्रीमती सुनीता कुशवाहा ने अपनी प्रेरणादायक सफलता की कहानी साझा की। उन्होंने बताया कि कैसे पंचायत की सहायता से पोषण वाटिका योजना से जुड़कर उन्होंने अपने परिवार और गाँव के पोषण स्तर को सुधारने में योगदान दिया।
प्रदान संस्था की इंटीग्रेटर सुश्री अर्चना ने कहा, “जब महिलाएँ अपनी जमीन और श्रम का नेतृत्व करती हैं, तो वे न केवल अपनी आजीविका सुधारती हैं, बल्कि पूरे गाँव की सेहत और समृद्धि की नींव भी रखती हैं।”
महिला सशक्तिकरण और कुपोषण उन्मूलन में सामुदायिक पोषण वाटिका की भूमिका
मध्य प्रदेश, जो कृषि में अग्रणी राज्य होने के बावजूद कुपोषण की गंभीर समस्या से जूझ रहा है, के लिए सामुदायिक पोषण वाटिका एक सशक्त समाधान बन रही है। यह पहल महिला किसानों के नेतृत्व में पारिस्थितिक कृषि पद्धतियों को अपनाने और गाँवों में कुपोषण उन्मूलन में मदद कर रही है।
मध्य प्रदेश आजीविका मिशन की सीईओ श्रीमती हर्षिका सिंह ने इस पहल को सतत और व्यापक बनाने पर जोर देते हुए कहा कि “पानी की प्रभावी व्यवस्था और सामूहिक प्रयासों को एक व्यवसाय की तरह विकसित करने की जरूरत है।”
सामुदायिक पोषण वाटिका के प्रभाव और विस्तार की योजना
बैठक में मंडला, बैतूल, नरसिंहपुर, रायसेन और सिंगरौली के जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों, अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारियों और महिला किसानों ने सामुदायिक पोषण वाटिका के प्रभाव पर चर्चा की।
सरकार और नागरिक संगठनों के सहयोग से इस पहल को हर गाँव तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है। सामुदायिक पोषण वाटिका महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता को मजबूत करने के साथ-साथ गाँवों में पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम साबित हो रही है।
निष्कर्ष
सरकार और नागरिक संगठनों के सहयोग से सामुदायिक पोषण वाटिका योजना ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण में नया अध्याय लिख रही है। यह पहल महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत करने और ग्रामीण भारत में पोषण सुरक्षा को स्थायी रूप से सुधारने में अहम भूमिका निभा रही है।

