उद्यानिकी के क्षेत्र में मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक छलांग: उत्पादन, जीआई टैग और नवाचार से अग्रणी राज्य बनने की ओर

भोपाल। उद्यानिकी के क्षेत्र में मध्यप्रदेश को देश का अग्रणी राज्य बनाने और कृषि आधारित उद्योगों को सशक्त करने की दिशा में राज्य सरकार ने बीते चार दशकों में निरंतर ठोस कदम उठाए हैं। इसी क्रम में 12 फरवरी 1982 को कृषि विभाग के अधीन उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी संचालनालय की स्थापना की गई, जबकि बढ़ती संभावनाओं को देखते हुए 22 दिसंबर 2005 को पृथक उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग का गठन किया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि आज मध्यप्रदेश उद्यानिकी उत्पादन, उत्पादकता और मूल्य संवर्धन के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो चुका है।
—
उद्यानिकी क्षेत्र का अभूतपूर्व विस्तार
विभाग के गठन वर्ष 2005 में प्रदेश में उद्यानिकी फसलों का रकबा मात्र 4.70 लाख हेक्टेयर और उत्पादन 42.98 लाख मीट्रिक टन था। आज यह आंकड़ा बढ़कर 28.39 लाख हेक्टेयर रकबा और 425.68 लाख मीट्रिक टन उत्पादन तक पहुंच चुका है। यह वृद्धि प्रदेश की कृषि नीति, किसानों की मेहनत और सरकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
—
राष्ट्रीय स्तर पर मध्यप्रदेश की मजबूत पहचान
उद्यानिकी के क्षेत्र में मध्यप्रदेश ने देश में विशिष्ट स्थान बनाया है।
मसाला उत्पादन में प्रथम स्थान
पुष्प उत्पादन में द्वितीय स्थान
सब्जी उत्पादन में तृतीय स्थान
फल उत्पादन में चतुर्थ स्थान
विशेष रूप से संतरा, टमाटर, धनिया और लहसुन में प्रदेश देश में पहले स्थान पर है। वहीं सीताफल, बंदगोभी, प्याज और हरी मटर में दूसरा तथा नींबू, पत्तागोभी, लाल मिर्च और खरबूजा में तीसरा स्थान प्राप्त है।
उल्लेखनीय है कि जहां देश में उद्यानिकी फसलों की औसत उत्पादकता 12.91 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर है, वहीं मध्यप्रदेश में यह 15.08 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर है। प्रदेश के कुल बुवाई क्षेत्र का केवल 9.10% हिस्सा उद्यानिकी फसलों के अंतर्गत है, लेकिन कुल खाद्य उत्पादन में इनका योगदान 57.70% है।
—
योजनाओं से मिली नई गति
उद्यानिकी विभाग द्वारा केंद्र एवं राज्य पोषित कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिनमें प्रमुख हैं—
एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH), पर ड्रॉप मोर क्रॉप (PDMC), राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) और प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना (PMFME)।
राज्य स्तर पर फल पौध रोपण अनुदान, मसाला क्षेत्र विस्तार, संरक्षित खेती प्रोत्साहन, कृषक प्रशिक्षण एवं भ्रमण तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग विकास योजनाएं लागू की गई हैं।
—
बीते दो वर्षों की प्रमुख उपलब्धियां
पिछले दो वर्षों में उद्यानिकी फसलों का रकबा 25.12 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 28.39 लाख हेक्टेयर हो गया, वहीं उत्पादन 389.10 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 425.68 लाख मीट्रिक टन पहुंचा।
संरक्षित खेती के अंतर्गत पॉली हाउस, शेडनेट हाउस और प्लास्टिक मल्चिंग को बढ़ावा देते हुए 1,573 हेक्टेयर क्षेत्र में कार्य किया गया। सूक्ष्म सिंचाई से 57 हजार हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित हुआ, जिससे 37 हजार किसानों को सीधा लाभ मिला।
—
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और नवाचार
इजराइल के तकनीकी सहयोग से मुरैना में उच्च मूल्य सब्जियों हेतु सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किया गया है। इसके अलावा छिंदवाड़ा में नींबू वर्गीय फसल और हरदा में निर्यात उन्मुख आम व सब्जियों के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस विकसित किए जा रहे हैं।
सेंसर आधारित स्वचालित फर्टिगेशन, मखाना खेती का पायलट प्रोजेक्ट, एग्जोटिक वेजिटेबल क्लस्टर, अल्ट्रा लो कॉस्ट शेडनेट हाउस और स्मार्ट बीज फार्म जैसे नवाचारों से उद्यानिकी को नई दिशा मिली है।
—
जीआई टैग से वैश्विक पहचान
प्रदेश के उद्यानिकी उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए रीवा का सुंदरजा आम और रतलाम का रियावन लहसुन को GI टैग प्राप्त हुआ है। इसके साथ ही 15 अन्य उद्यानिकी फसलों के जीआई पंजीयन की प्रक्रिया जारी है। जीआई टैग से उत्पादों को बेहतर मूल्य मिल रहा है, जिससे किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
—
खाद्य प्रसंस्करण और रोजगार सृजन
PMFME योजना के तहत अब तक 8,198 सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्वीकृत की गई हैं। 5,518 हितग्राहियों को प्रशिक्षण और 6,043 हितग्राहियों को 198 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर सृजित हुए हैं।
—
भविष्य की कार्ययोजना और 2047 का विजन
आगामी तीन वर्षों में उद्यानिकी रकबा 33.39 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाने, मौसम आधारित बीमा योजना लागू करने, क्लस्टर आधारित संरक्षित खेती और 15,000 नई खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना का लक्ष्य है।
समृद्ध मध्यप्रदेश 2047 के अंतर्गत उद्यानिकी रकबा 50 लाख हेक्टेयर, 50 फसलों का जीआई टैग, 25 लाख हेक्टेयर ड्रिप-स्प्रिंकलर सिंचाई और 280 हाईटेक नर्सरियों का लक्ष्य तय किया गया है।
निष्कर्षतः, उद्यानिकी क्षेत्र में योजनाबद्ध विकास, तकनीकी नवाचार और मूल्य संवर्धन के माध्यम से मध्यप्रदेश न केवल किसानों की आय बढ़ा रहा है, बल्कि राज्य को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत कृषि शक्ति के रूप में स्थापित कर रहा है।



