
भोपाल। मध्यप्रदेश की समृद्ध हस्तशिल्प परंपरा को राष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले शिल्पकार श्री बलदेव वाघमारे का शुक्रवार को मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड में गरिमामय सम्मान किया गया। यह सम्मान उन्हें वर्ष 2024 का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त होने के उपलक्ष्य में प्रदान किया गया।
अपर प्रबंध संचालक ने पहनाया अंगवस्त्रम
सम्मान समारोह के दौरान अपर प्रबंध संचालक, मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड डॉ. अभय अरविंद बेडेकर ने श्री बलदेव वाघमारे को अंगवस्त्रम पहनाकर सम्मानित किया और उनकी उपलब्धि को प्रदेश के लिए गौरवपूर्ण बताया।
पारंपरिक शिल्प विरासत के सशक्त संवाहक हैं बलदेव वाघमारे
इस अवसर पर डॉ. अभय बेडेकर ने कहा कि बलदेव वाघमारे जैसे शिल्पकार मध्य प्रदेश की समृद्ध पारंपरिक शिल्प विरासत के सशक्त संवाहक और पहचान हैं। उन्हें प्राप्त राष्ट्रीय पुरस्कार न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह पूरे प्रदेश के हस्तशिल्प क्षेत्र को नई ऊर्जा और दिशा प्रदान करेगा। उन्होंने आगे कहा कि श्री वाघमारे भविष्य में अन्य शिल्पकारों के साथ मिलकर पारंपरिक हस्तशिल्प के संरक्षण, संवर्धन और नवाचार के माध्यम से इसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे।
राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया गया राष्ट्रीय पुरस्कार
उल्लेखनीय है कि श्री बलदेव वाघमारे को वर्ष 2024 का राष्ट्रीय पुरस्कार दिनांक 9 दिसंबर 2025 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित भव्य समारोह में महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा प्रदान किया गया। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार उन्हें मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के भरेवा शिल्प (बेल मेटल शिल्प) के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य तथा पारंपरिक शिल्प कला के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रदान किया गया।
केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय का प्रतिष्ठित सम्मान
यह राष्ट्रीय पुरस्कार वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रदान किया गया। समारोह में
केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह,सचिव, वस्त्र मंत्रालय नीलम शमी राव,विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) श्रीमती अमृत राज भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से एकमात्र राष्ट्रीय पुरस्कार
यह सम्मान इसलिए भी अत्यंत विशेष है क्योंकि वर्ष 2024 में मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र राज्य से किसी भी शिल्पकार को दिया गया यह एकमात्र राष्ट्रीय पुरस्कार श्री बलदेव वाघमारे को प्राप्त हुआ है। यह उपलब्धि न केवल उनकी कला साधना का परिणाम है, बल्कि मध्य प्रदेश की गौरवशाली हस्तशिल्प परंपरा को राष्ट्रीय मंच पर स्थापित करने वाला ऐतिहासिक क्षण भी है।



