Bhopal ।।मध्यप्रदेश का उच्च शिक्षा विभाग राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप स्पष्ट नीतियों, नवाचारों और डिजिटल पहलों के माध्यम से सकारात्मक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। प्रदेश की उच्च शिक्षा व्यवस्था को गुणात्मक, बहुविषयक, रोजगारोन्मुखी और समावेशी बनाने की दिशा में निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। बीते कुछ वर्षों में सकल नामांकन अनुपात (GER), पाठ्यक्रम सुधार, डिजिटल गवर्नेंस, छात्र कल्याण और रोजगार से जुड़े ठोस परिणाम सामने आए हैं, जो मध्यप्रदेश को देश के अग्रणी राज्यों की कतार में ला रहे हैं।
मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा की वर्तमान स्थिति
प्रदेश में वर्तमान में 571 शासकीय और 788 अशासकीय महाविद्यालय, साथ ही 19 शासकीय एवं 54 निजी विश्वविद्यालय संचालित हैं। कुल 16.50 लाख विद्यार्थी उच्च शिक्षा में अध्ययनरत हैं, जिनमें 54–55 प्रतिशत छात्राएँ हैं। वर्ष 2017 में जहां GER लगभग 20 प्रतिशत था, वहीं 2021-22 में यह बढ़कर 28.9 प्रतिशत हो गया है। एक दशक से भी कम समय में लगभग 9 प्रतिशत की वृद्धि उल्लेखनीय उपलब्धि मानी जा रही है। आगामी वर्षों में GER को 35 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है।
अकादमिक सुधार और संस्थागत उपलब्धियां
शैक्षणिक सत्र 2021-22 से चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम प्रदेश के सभी शासकीय विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में पूर्ण रूप से लागू किया गया है। बहु-प्रवेश और बहु-निकास प्रणाली के तहत विद्यार्थियों को प्रमाण-पत्र, डिप्लोमा, स्नातक और शोध सहित डिग्री के विकल्प मिल रहे हैं। वर्तमान सत्र से एक वर्षीय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं और अंतःविषय अध्ययन का विकल्प भी उपलब्ध कराया गया है। NEP 2020 के अनुरूप स्नातक स्तर के 83 विषयों और स्नातकोत्तर स्तर के 50 विषयों के मानक पाठ्यक्रम तैयार किए गए हैं। प्रदेश में क्रांतिवीर तात्या टोपे विश्वविद्यालय (गुना), क्रांति सूर्य टंट्या भील विश्वविद्यालय (खरगोन) और रानी अवंतीबाई लोधी विश्वविद्यालय (सागर) की स्थापना की गई है।
इसके साथ ही 55 महाविद्यालयों को प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया गया, जिनके लिए 1845 पद सृजन और 336 करोड़ रुपये से अधिक की राशि अधोसंरचना विकास हेतु स्वीकृत की गई।
भर्ती, कृषि और तकनीकी शिक्षा
लोक सेवा आयोग के माध्यम से 2022 में 2053 पदों पर भर्ती की गई, जबकि 2024 में 2197 पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी है। प्रदेश के 6 शासकीय विश्वविद्यालयों और 17 स्वशासी महाविद्यालयों में स्नातक स्तर पर कृषि पाठ्यक्रम प्रारंभ किए गए हैं। वहीं IIT दिल्ली के सहयोग से 68 महाविद्यालयों में AI और FinTech with AI जैसे आधुनिक पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं।
भारतीय ज्ञान परंपरा का संरक्षण
भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण और संवर्धन हेतु भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ की स्थापना की गई है। विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में पाठ्यक्रमों के माध्यम से भारतीय ज्ञान, विज्ञान और परंपराओं को विद्यार्थियों से जोड़ा जा रहा है।
रोजगार और करियर मार्गदर्शन
स्वामी विवेकानंद करियर मार्गदर्शन योजना के अंतर्गत 378 रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण कार्यक्रमों से 16,219 विद्यार्थी प्रशिक्षित हुए।
34 रोजगार मेलों, 45 औद्योगिक भ्रमणों और 20 उद्यमिता शिविरों के माध्यम से हजारों विद्यार्थियों को उद्योग और करियर की व्यावहारिक समझ मिली। योजना के अंतर्गत 1,655 विद्यार्थियों को प्रत्यक्ष प्लेसमेंट प्राप्त हुआ।
छात्र कल्याण और सामाजिक समावेशन
वर्ष 2024-25 में गांव की बेटी योजना से 1.34 लाख छात्राएं और प्रतिभा किरण योजना से 7,523 छात्राएं लाभान्वित हुईं। अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के 3.91 लाख विद्यार्थियों को निशुल्क पुस्तक एवं स्टेशनरी प्रदान की गई। छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए राज्य और जिला स्तर पर टास्क फोर्स गठित की गई है।
डिजिटल नवाचार और ई-गवर्नेंस
डिजिटल शिक्षा के तहत 3 विश्वविद्यालय ऑनलाइन और हाइब्रिड मोड में पाठ्यक्रम चला रहे हैं। प्रदेश में 1047 स्मार्ट क्लासरूम, 200 वर्चुअल लैब और 544 ई-लाइब्रेरी विकसित की गई हैं, जिनमें 10 लाख से अधिक सदस्य पंजीकृत हैं। 1600 से अधिक ई-कंटेंट और स्वयं (SWAYAM) पोर्टल के माध्यम से 14,000 से अधिक ई-कंटेंट विद्यार्थियों को उपलब्ध कराए गए हैं। अब तक 15.59 लाख विद्यार्थियों का APAAR ID पंजीयन हो चुका है। SWAYAM पोर्टल पर 5 लाख से अधिक विद्यार्थी पंजीकृत हैं और जुलाई 2025 में मध्यप्रदेश का पंजीयन राष्ट्रीय औसत 6.7% से बढ़कर 9% तक पहुंच गया है, जो प्रदेश की डिजिटल शिक्षा में अग्रणी भूमिका को दर्शाता है।
निष्कर्ष
स्पष्ट है कि मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा में नीति, नवाचार और डिजिटल परिवर्तन के जरिए नई दिशा तय कर रहा है। GER बढ़ाने, रोजगारोन्मुखी शिक्षा, भारतीय ज्ञान परंपरा और डिजिटल गवर्नेंस पर केंद्रित यह मॉडल आने वाले वर्षों में प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा का मजबूत केंद्र बनाने की क्षमता रखता है।
मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा में नवाचार और उपलब्धियों की नई उड़ान, GER 35% तक पहुंचाने का लक्ष्य
