भोपाल मंडल रेलवे में लूप लाइन अपग्रेडेशन तेज़, यात्रियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता
पश्चिम मध्य रेलवे द्वारा 244 करोड़ की परियोजनाएं स्वीकृत, रेलवे यार्ड और ट्रैक संरक्षा पर विशेष फोकस

भोपाल। पश्चिम मध्य रेलवे के भोपाल मंडल में यात्रियों की सुरक्षा और ट्रेन संचालन की दक्षता को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लूप लाइन संरक्षा और यार्ड अपग्रेडेशन पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। भोपाल मंडल रेलवे समाचार के मुताबिक, 88 स्टेशन यार्ड और 2224 किलोमीटर रेल ट्रैक पर निरंतर निरीक्षण, मरम्मत और आधुनिकीकरण का कार्य प्रगति पर है।
रेलवे प्रशासन द्वारा बताया गया कि रेलवे यार्ड और लूप लाइनें केवल ट्रेनों के ठहराव के लिए ही नहीं, बल्कि मालगाड़ियों और सुपरफास्ट ट्रेनों के सुगम संचालन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। लूप लाइनों की औसतन लंबाई 700 मीटर होती है और ये मेन लाइनों से टर्नआउट के ज़रिए जुड़ी होती हैं, जिससे ट्रेनों का निर्बाध संचालन संभव हो पाता है।
वर्तमान में भोपाल मंडल के यार्डों में 204 पैसेंजर रनिंग लाइनें और 256 नॉन-पैसेंजर लाइनें संचालित हैं। इन सभी पर तीन और छह माह की आवृत्तियों पर ट्रैक निरीक्षण किया जाता है ताकि संरक्षा मानकों के अनुरूप संचालन सुनिश्चित किया जा सके। दोष पाए जाने पर उनकी त्वरित मरम्मत की जाती है, जिससे यात्रियों को सुरक्षित और समयबद्ध रेल सेवा मिले।
रेलवे संरक्षा को सुदृढ़ बनाने हेतु अब तक 83 यार्डों में से 35 का आधुनिकीकरण कार्य पूर्ण हो चुका है। शेष यार्डों में कार्य प्रगति पर है, जिसमें फ्री रेल जॉइंट्स को हटाना, पुराने टर्नआउट को बदलना, ड्रेनेज सुधार, गिट्टी छनाई और ट्रैक फिटिंग्स का प्रतिस्थापन जैसे कार्य शामिल हैं।
वर्ष 2024-25 के लिए 244 करोड़ रुपये की रेलवे संरक्षा परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। इन परियोजनाओं के अंतर्गत 11 महत्वपूर्ण रेलवे यार्ड चिन्हित किए गए हैं, जिनमें से 4 यार्डों का उन्नयन कार्य पहले ही पूर्ण हो चुका है।
भोपाल रेलवे मंडल प्रशासन का यह प्रयास है कि रेलवे यार्ड की संरचना यात्रियों की सुरक्षा, ट्रेनों की गति और ऑपरेशनल सुविधा के लिहाज़ से सर्वोत्तम स्तर की हो। लूप लाइन और रेलवे यार्ड अपग्रेडेशन के यह कदम न केवल संरक्षा अभियान को गति देंगे, बल्कि यात्रियों को एक भरोसेमंद, सुरक्षित और सुचारु रेल यात्रा का अनुभव भी सुनिश्चित करेंगे।





