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उनके हिस्से का प्रेम और गरीबनवाज में रिश्तों और संघर्ष का जीवंत चित्रण

रबीन्द्र भवन में संभव आर्ट ग्रुप द्वारा कथाकार संतोष चौबे की कहानियों का मंचन, निर्देशन देवेन्द्र राज अंकुर का

भोपाल। रबीन्द्र भवन का मंच बुधवार की शाम संवेदनाओं और यथार्थ के रंगों से सराबोर था, जब संभव आर्ट ग्रुप, दिल्ली ने प्रसिद्ध कथाकार संतोष चौबे की दो चर्चित कहानियों उनके हिस्से का प्रेम और गरीबनवाज का प्रभावशाली मंचन किया। यह आयोजन वनमाली सृजन पीठ, आईसेक्ट पब्लिकेशन, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय और स्कोप ग्लोबल स्किल्स यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ।

पहली कहानी उनके हिस्से का प्रेम में एक दफ्तर के बॉस के अधूरे प्रेम संबंधों को उसके ऑफिस की मेज, कलम, शीशा, कुर्सी और डायरी जैसे निर्जीव वस्तुओं के माध्यम से दर्शाया गया। ये वस्तुएँ इंसान की संवेदनाओं की गवाह बनकर सामने आईं  मानो प्रेम और अकेलेपन के बीच संवाद कर रही हों। कहानी ने दर्शकों को यह सोचने पर विवश किया कि भावनाएँ सिर्फ इंसानों में नहीं, वस्तुओं में भी जीवित रहती हैं। दूसरी कहानी गरीबनवाज एक उद्यमी विश्वमोहन के संघर्ष की कथा है, जो अमेरिका की नौकरी छोड़कर भारत लौटता है और अपना BPO व्यवसाय शुरू करता है। लेकिन उसके ऑफिस के पास खुली गरीबनवाज चिकन शॉप उसके भीतर के आदर्शों और यथार्थ के बीच टकराव का प्रतीक बन जाती है। यह कहानी श्रमजीवी वर्ग और वर्चस्ववादी सोच के बीच चल रहे द्वंद्व को बखूबी उजागर करती है।

निर्देशन की कमान राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व निदेशक और रंगमंच के दिग्गज कलाकार देवेन्द्र राज अंकुर ने संभाली। उनकी सूक्ष्म रंग-संवेदना और प्रतीकात्मक मंच-प्रयोगों ने कहानियों को सजीव रूप दिया। मंच पर निधि मिश्रा, गौरी देवल, रचिता वर्मा, अमिताभ श्रीवास्तव, अमित सक्सेना, प्रकाश झा, हरिकेश मौर्य और सहज हरजाई जैसे कलाकारों ने अपनी दमदार अदाकारी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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