
नर्सिंग कॉलेज प्रवेश प्रक्रिया पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
भोपाल/जबलपुर। मध्यप्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों की प्रवेश प्रक्रिया में व्याप्त अव्यवस्थाओं और अनियमितताओं को लेकर दायर याचिका पर माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर ने छात्रों के हित में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने एनएसयूआई (NSUI) प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार और संबंधित संस्थाओं को पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग (PB BSc Nursing) और एमएससी नर्सिंग (MSc Nursing) की रिक्त सीटों पर तत्काल अलग से काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं। यह आदेश माननीय न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति प्रदीप मित्तल की संयुक्त पीठ द्वारा पारित किया गया। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह पूरी प्रक्रिया 31 दिसंबर 2025 तक हर हाल में पूर्ण की जाए।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी पर हाईकोर्ट सख्त
याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता रवि परमार की ओर से अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय ने मजबूती से पक्ष रखते हुए न्यायालय को अवगत कराया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नर्सिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ाई जा चुकी है। इसके बावजूद राज्य नर्सिंग परिषद द्वारा PB BSc Nursing और MSc Nursing को काउंसलिंग प्रक्रिया से बाहर रखना, सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का सीधा उल्लंघन है।
अधिवक्ता ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि मध्यप्रदेश में नर्सिंग की रिक्त सीटें केवल उन्हीं अभ्यर्थियों से भरी जाएं, जिन्होंने राज्य स्तरीय प्रवेश परीक्षा में भाग लिया हो और भारतीय नर्सिंग परिषद (INC) की पात्रता शर्तों को पूरा करते हों। इसके बावजूद प्रशासनिक लापरवाही के कारण हजारों सीटें खाली रह गईं।
हजारों सीटें खाली, छात्रों का भविष्य संकट में
हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत आंकड़ों ने भी न्यायालय को चिंतित किया।
PB BSc Nursing, शासकीय कॉलेज: 66 सीटें रिक्त,निजी कॉलेज: 3018 सीटें रिक्त, MSc Nursing, शासकीय कॉलेज: 70 सीटें रिक्त, निजी कॉलेज: 1120 सीटें रिक्त
अदालत ने माना कि इतनी बड़ी संख्या में सीटों का खाली रहना, छात्रों के भविष्य के साथ गंभीर खिलवाड़ है।
हाईकोर्ट का स्पष्ट आदेश
सभी तथ्यों और दस्तावेजों पर विचार करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने भारतीय नर्सिंग परिषद को निर्देश दिए कि वह तत्काल औपचारिक आदेश जारी कर PB BSc Nursing एवं MSc Nursing की रिक्त सीटों पर नियमों के अनुसार अलग-अलग काउंसलिंग प्रक्रिया प्रारंभ करे।
यह फैसला हजारों छात्रों के भविष्य की जीत: रवि परमार
इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए एनएसयूआई प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने कहा कि यह फैसला केवल NSUI की जीत नहीं है, बल्कि मध्यप्रदेश के हजारों नर्सिंग छात्रों के भविष्य की जीत है। सरकार और विभागीय लापरवाही के कारण छात्र लगातार परेशान हो रहे थे, लेकिन माननीय हाईकोर्ट ने समय रहते हस्तक्षेप कर न्याय दिलाया।
उन्होंने अपने अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय का आभार जताते हुए कहा कि एनएसयूआई आगे भी शिक्षा व्यवस्था में फैले भ्रष्टाचार, मनमानी और शिक्षा माफियाओं के खिलाफ संघर्ष जारी रखेगी।
रवि परमार ने दोहराया कि NSUI नर्सिंग सहित सभी व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में पारदर्शी प्रवेश प्रक्रिया, समयबद्ध काउंसलिंग और छात्रों के अधिकारों की रक्षा के लिए हर मंच पर आवाज़ उठाती रहेगी।



