
ऑपरेशन एएएचटी” ने 2,300 बच्चों को बचाया, 674 तस्करों की गिरफ्तारी
भोपाल। भारतीय रेल और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (WCD) ने बच्चों की तस्करी और सुरक्षा से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए एक नई संशोधित मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) लॉन्च की है। 25 अक्टूबर 2024 को नई दिल्ली के रेल भवन में इस नई एसओपी की शुरुआत की गई, जो रेलवे परिसरों में मिलने वाले कमजोर बच्चों की सुरक्षा के लिए व्यापक दिशा-निर्देश प्रदान करती है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने रेल यात्रा के दौरान महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए रेलवे के सभी प्रयासों को वित्तीय सहयोग का आश्वासन दिया है।
ऑपरेशन एएएचटी और ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते से मिली बड़ी सफलता
रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने “ऑपरेशन एएएचटी” के तहत 2022 से अब तक 2,300 से अधिक बच्चों को तस्करों के चंगुल से छुड़ाया और 674 तस्करों को गिरफ्तार किया है। साथ ही, आरपीएफ ने ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते के अंतर्गत पिछले पांच वर्षों में 57,564 बच्चों को सुरक्षित किया, जिसमें 18,172 लड़कियां शामिल हैं। इनमें से 80% बच्चों को उनके परिवारों से मिलवाया गया। इस अभियान के तहत आरपीएफ ने पूरे रेल नेटवर्क पर बच्चों की सुरक्षा के लिए कई अहम पहल शुरू की हैं।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का सहयोग और तकनीकी सुधार
एसओपी लॉन्च के दौरान महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव अनिल मलिक ने प्रमुख स्टेशनों पर सीसीटीवी और फेस रिकग्निशन तकनीक के उपयोग की प्रशंसा की। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि कमजोर समूहों, विशेष रूप से अकेले यात्रा करने वाली महिलाओं और किशोरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निर्भया फंड का उपयोग भी किया जाएगा।
रेलवे स्टेशनों पर मानव तस्करी विरोधी इकाइयों (AHTU) की स्थापना
देशभर में 262 प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर मानव तस्करी विरोधी इकाइयां (AHTU) स्थापित करने की योजना है। हालांकि कुछ राज्यों में सहयोग की कमी के कारण यह इकाइयां अभी तक सक्रिय नहीं हो पाई हैं। मंत्रालय ने इन राज्यों को पत्र लिखकर AHTU की स्थापना में तेजी लाने का आग्रह किया है, ताकि यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाई जा सके।
ऑपरेशन मेरी सहेली: अकेली महिलाओं की सुरक्षा के लिए अभियान
महिला यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रेलवे “ऑपरेशन मेरी सहेली” भी चला रहा है। इस अभियान के तहत अकेली यात्रा कर रहीं महिलाओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है और उन्हें किसी भी कठिनाई की स्थिति में त्वरित सहायता प्रदान की जाती है।
बाल सहायता डेस्क (CHD) का विस्तार
भारतीय रेल और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने प्रमुख स्टेशनों पर बाल सहायता डेस्क (CHD) का विस्तार करने की भी घोषणा की है। यह डेस्क रेल परिसरों में जरूरतमंद बच्चों को तत्काल सहायता और परामर्श प्रदान करेगी।
नई एसओपी से बच्चों की सुरक्षा होगी मजबूत
संशोधित एसओपी का उद्देश्य बच्चों की तस्करी और शोषण को रोकना है। इसे किशोर न्याय अधिनियम (JJ Act) के अंतर्गत 2015 में शुरू किया गया था और 2021 में अद्यतन किया गया। नई एसओपी को मंत्रालय के “मिशन वात्सल्य” के तहत और अधिक परिष्कृत किया गया है, जिसमें बच्चों की पहचान, सहायता और उचित दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया का विस्तार किया गया है।
वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में हुआ कार्यक्रम
इस कार्यक्रम में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ सतीश कुमार, WCD सचिव अनिल मलिक, और रेलवे बोर्ड के सदस्य संचालन एवं व्यवसाय विकास, रविंदर गोयल सहित दोनों मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान आरपीएफ महानिदेशक मनोज यादव ने कहा, “नई एसओपी के साथ हमारा मिशन है: ट्रेनों में बाल तस्करी को रोकना।”
निष्कर्ष
इस एसओपी का लॉन्च भारत सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि देश में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है। रेलवे और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के बीच यह सहयोगात्मक प्रयास रेल यात्रा को तस्करी-मुक्त और सुरक्षित बनाने में मील का पत्थर साबित होगा।