एम्स भोपाल में इन-हाउस 3-डी प्रिंटिंग तकनीक से हड्डी रोगों का अत्याधुनिक इलाज शुरू, जटिल मामलों में सर्जरी बनी अधिक सटीक और किफायती

भोपाल । एम्स भोपाल (AIIMS Bhopal) ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए इन-हाउस 3-डी प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग हड्डी रोगों (Orthopedic Disorders) के जटिल मामलों के इलाज में शुरू कर दिया है। यह पहल कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में आर्थोपेडिक्स विभाग द्वारा की गई है, जो मरीजों को कस्टमाइज्ड और सटीक सर्जिकल उपचार प्रदान करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।

हाल ही में इस तकनीक की मदद से एक डिस्टल फीमर मैलयून (Distal Femur Malunion) के जटिल केस में सफल सर्जरी की गई। इस ऑपरेशन के लिए रोगी-विशेष 3-डी प्रिंटेड कटिंग गाइड एम्स भोपाल में ही तैयार किया गया, और यह सेवा पूरी तरह नि:शुल्क उपलब्ध कराई गई, जिससे मरीज पर कोई आर्थिक बोझ नहीं पड़ा।

3D प्रिंटिंग तकनीक से हड्डियों की सर्जरी में बढ़ी सटीकता
इस तकनीक के माध्यम से हड्डियों की संरचना के अनुरूप कस्टमाइज्ड सर्जिकल गाइड्स तैयार किए जाते हैं, जिससे जटिल सर्जरी अधिक सुरक्षित, प्रभावी और समयबद्ध तरीके से की जा सकती है। पारंपरिक सर्जरी की तुलना में यह प्रक्रिया बेहतर रिकवरी, कम जटिलता और उच्च सफलता दर प्रदान करती है।

“पेशेंट फर्स्ट” विज़न को मिला विस्तार
कार्यक्रम में प्रो. अजय सिंह ने कहा, “एम्स भोपाल में 3-डी प्रिंटिंग तकनीक की शुरुआत चिकित्सा में एक नई क्रांति है। हम हर मरीज को उसकी शारीरिक आवश्यकताओं के अनुसार व्यक्तिगत और सटीक इलाज देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सबसे अहम बात यह है कि यह सेवा नि:शुल्क है, जिससे मरीजों पर वित्तीय दबाव नहीं पड़ता।”

भविष्य में और भी जटिल मामलों में होगा 3-डी तकनीक का उपयोग
एम्स भोपाल का उद्देश्य इस अत्याधुनिक तकनीक को अन्य ऑर्थोपेडिक केसों, जैसे हिप रिप्लेसमेंट, जॉइंट डिसऑर्डर, फ्रैक्चर डिफॉर्मिटी करेक्शन आदि में भी विस्तार देना है।

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