
भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस ने अपने सामुदायिक सुरक्षा मॉडल को और प्रभावी बनाने के लिए सामुदायिक पुलिसिंग की अवधारणा को सुदृढ़ किया है। इस पहल में सामाजिक संस्थाएँ पुलिस और समाज के बीच एक पुल के रूप में कार्य कर रही हैं। ये संस्थाएँ अपराधों की रोकथाम और समाज के कमजोर वर्गों के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
सामुदायिक पुलिसिंग: एक कदम समाज के साथ
सामुदायिक पुलिसिंग का उद्देश्य केवल अपराधों को रोकना या कानून व्यवस्था बनाए रखना नहीं है, बल्कि समाज के हर वर्ग को सुरक्षा का एहसास कराना है। इसके तहत:
सामाजिक संस्थाएँ पुलिस के साथ मिलकर अपराधों की रोकथाम, जन जागरूकता अभियान और सामाजिक समस्याओं के समाधान में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
महिला सुरक्षा, बाल अधिकार संरक्षण, और नशा मुक्ति जैसे मुद्दों पर संवाद और सहयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।
समाज और पुलिस के बीच विश्वास और सहयोग को मजबूत करने के लिए संस्थाएँ जमीनी स्तर पर काम कर रही हैं।
विशेषज्ञों की राय
पुलिस उप महानिरीक्षक सामुदायिक पुलिसिंग श्री विनीत कपूर ने कहा कि यह मॉडल केवल कानून व्यवस्था तक सीमित नहीं है। यह समाज के सभी वर्गों को जोड़ने और समस्याओं के समाधान में सामूहिक भागीदारी का प्रयास है। गैर-सरकारी संगठन (NGO) और अन्य सामाजिक समूह महिला सुरक्षा, बाल अधिकार, और सामाजिक बुराइयों के उन्मूलन में योगदान दे रहे हैं।
पुलिस उप महानिरीक्षक पीटीआरआई श्री टी.के. विद्यार्थी ने बताया कि महिला और बाल अपराधों की रोकथाम में सामाजिक संगठनों की भूमिका महत्वपूर्ण है। ये संगठन न केवल जागरूकता फैलाते हैं, बल्कि पीड़ितों को सहायता प्रदान करने और अपराध रोकने में पुलिस का सहयोग करते हैं।
यूनिसेफ के श्री लोली चेन ने कहा कि पुलिस और सामाजिक संस्थाओं का सहयोग सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करने में बेहद उपयोगी है। बाल संरक्षण, लैंगिक समानता, और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्रों में यह साझेदारी असरदार साबित हुई है।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सामुदायिक पुलिसिंग श्रीमती मीनाक्षी शर्मा ने कहा कि सामाजिक संगठन कानूनी जागरूकता, पुनर्वास, और सामाजिक सहयोग के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। मानव तस्करी, घरेलू हिंसा, और लैंगिक असमानता जैसे संवेदनशील मुद्दों पर संगठनों का योगदान सराहनीय है।
सामाजिक संस्थाओं का योगदान
इस कार्यशाला में भाग लेने वाली प्रमुख संस्थाएँ:
समर्थ संस्था, उदय संस्था, आधार संस्था, आईजेएम, सम्मान समिति, पहल संस्था, बचपन बचाओ संस्था, और जन साहस।
इन संस्थाओं ने अपराध रोकथाम, महिला अधिकार, और बच्चों की सुरक्षा पर अपने प्रेजेंटेशन दिए।
कार्यशाला में भागीदारी
कार्यशाला में पुलिस और महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, और विशेषज्ञ शामिल हुए। सहायक पुलिस महानिरीक्षक श्री मलय जैन और श्री अमृत मीणा ने सामुदायिक पुलिसिंग को और प्रभावी बनाने के सुझाव दिए।





