मानक इलाज के साथ होम्योपैथी जोड़ने से लक्षणों की पुनरावृत्ति में आई बड़ी कमी
भोपाल। एलर्जिक राइनाइटिस एक आम लेकिन दीर्घकालिक बीमारी है, जिससे विश्वभर में करोड़ों लोग प्रभावित हैं। लगातार छींक आना, नाक बहना या बंद रहना, नींद में बाधा और जीवन की गुणवत्ता में गिरावट इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। इसी विषय पर एम्स भोपाल द्वारा किए गए एक नए वैज्ञानिक अध्ययन में यह महत्वपूर्ण निष्कर्ष सामने आया है कि मानक उपचार के साथ होम्योपैथी जोड़ने से एलर्जिक राइनाइटिस में लंबे समय तक बेहतर लाभ मिल सकता है।
एम्स भोपाल के आयुष और ईएनटी विभाग का संयुक्त अध्ययन
यह रैंडमाइज़्ड, ओपन-लेबल नियंत्रित अध्ययन एम्स भोपाल के आयुष विभाग (होम्योपैथी) द्वारा ईएनटी विभाग के सहयोग से किया गया। अध्ययन का नेतृत्व
डॉ. आशीष कुमार दीक्षित (होम्योपैथी) और डॉ. अंजन कुमार साहू (ईएनटी) ने किया। शोध दल में डॉ. शैला सिदम (ईएनटी) एवं डॉ. निभा गिरी (होम्योपैथी) भी शामिल रहीं।
210 मरीजों पर किया गया नियंत्रित परीक्षण
अध्ययन में मध्यम से गंभीर एलर्जिक राइनाइटिस से पीड़ित 210 वयस्क मरीजों को शामिल किया गया। मरीजों को दो समूहों में विभाजित किया गया, पहला समूह: केवल मानक उपचार फ्लुटिकासोन फ्यूरोएट, दूसरा समूह: फ्लुटिकासोन फ्यूरोएट के साथ व्यक्तिगत रूप से चयनित होम्योपैथिक दवाएँ
उपचार की अवधि 12 सप्ताह रही, जिसके बाद 6 सप्ताह तक बिना किसी दवा के फॉलो-अप किया गया।
18 सप्ताह बाद दिखा स्पष्ट अंतर
अध्ययन के अनुसार, उपचार के दौरान (4वें और 12वें सप्ताह) दोनों समूहों में समान सुधार देखा गया। लेकिन 18वें सप्ताह, यानी उपचार बंद होने के बाद, दोनों समूहों के परिणामों में महत्वपूर्ण अंतर सामने आया।
टोटल नेज़ल सिम्पटम स्कोर (TNSS):
होम्योपैथी + मानक उपचार समूह: 1.44
केवल मानक उपचार समूह: 6.48
नाक के लक्षणों में लगभग 78% अधिक कमी
जीवन-गुणवत्ता स्कोर:
होम्योपैथी समूह: 0.88
मानक उपचार समूह: 2.24
जीवन-गुणवत्ता में लगभग 61% अधिक सुधार
अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हुई स्टडी
यह शोध एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है, जिससे इसके वैज्ञानिक महत्व और विश्वसनीयता को बल मिलता है।
दीर्घकालिक प्रबंधन में उपयोगी हो सकती है होम्योपैथी
अध्ययन का निष्कर्ष यह दर्शाता है कि एलर्जिक राइनाइटिस के दीर्घकालिक प्रबंधन में होम्योपैथी, जब पारंपरिक इलाज के साथ दी जाए, तो लक्षणों की पुनरावृत्ति कम करने और लंबे समय तक राहत बनाए रखने में सहायक हो सकती है।
एम्स भोपाल का महत्वपूर्ण शोध: एलर्जिक राइनाइटिस में होम्योपैथी से लंबे समय तक मिल सकती है राहत
