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भोपाल में हाइपर सेंसटिव न्यूमोनाइटिस के मरीजों में तेजी से बढ़ोतरी, कबूतरों से फैल रही फेफड़ों की गंभीर बीमारी

भोपाल। प्रदेश में हाइपर सेंसटिव न्यूमोनाइटिस  के मामलों में चिंताजनक वृद्धि दर्ज की जा रही है। सरकारी अस्पतालों के आंकड़ों के मुताबिक, रोजाना 20 से 25 संक्रमित मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं, जिनमें से करीब 25 प्रतिशत मरीजों को गंभीर हालत में भर्ती करना पड़ रहा है।

कबूतरों के पंख और बीट बने बीमारी का कारण

विशेषज्ञों का कहना है कि यह बीमारी मुख्य रूप से कबूतरों के पंख और उनकी बीट में मौजूद सूक्ष्म कणों के कारण फैलती है। ये कण हवा के माध्यम से सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंच जाते हैं और वहां पर गंभीर एलर्जी व सूजन पैदा कर देते हैं।
जो लोग कबूतरों को दाना डालने, उनके संपर्क में रहने या कबूतरों से प्रभावित स्थानों पर समय बिताने के आदी हैं, उन्हें इस बीमारी का खतरा ज्यादा रहता है।

लाइलाज लेकिन रोके जाने योग्य

हाइपर सेंसटिव न्यूमोनाइटिस बीमारी का अभी कोई स्थायी इलाज नहीं है। एक बार फेफड़ों में स्थायी नुकसान हो जाने पर मरीज की सांस लेने की क्षमता घट जाती है और जीवनभर तकलीफ बनी रह सकती है।
हालांकि, समय रहते रोकथाम और संक्रमण स्रोत से दूरी बनाकर इससे बचाव संभव है।

विशेषज्ञों की सलाह

कबूतरों को दाना डालने से बचें।

छत, बालकनी और खुले स्थानों पर कबूतरों का जमाव रोकें।

अगर घर के आस-पास कबूतर रहते हैं, तो उनकी बीट तुरंत साफ करें और सफाई के दौरान मास्क पहनें।

खांसी, सांस फूलना या सीने में जकड़न जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत फेफड़ों के विशेषज्ञ से जांच कराएं।

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