
मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी मुकेश नायक ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि इस बार प्रदेश और देश में दीवाली निराशाजनक और नीरस रही, क्योंकि किसानों और आम नागरिकों की जेब खाली थी। उन्होंने इसके लिए प्रदेश सरकार की विफल नीतियों और कालाबाजारी की खुली छूट को जिम्मेदार ठहराया।
भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी श्री मुकेश नायक ने राज्य सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि इस बार की दीवाली किसानों और आमजन के लिए खुशी नहीं, बल्कि हताशा का प्रतीक रही। उन्होंने दावा किया कि केवल 20% लोगों ने दीवाली मनाई, जबकि 80% जनता बढ़ती महंगाई और कर्ज के बोझ में दबकर त्यौहार से दूर रही।
नायक ने कहा कि 180 रुपए प्रति लीटर सोयाबीन तेल की कीमतों ने रसोई की आग ठंडी कर दी, और कई परिवारों को राजगीर के लड्डुओं से ही त्योहार मनाना पड़ा। उन्होंने फसल खराब होने और राहत राशि के अभाव को इस निराशा का मुख्य कारण बताया।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कृषि को लाभकारी धंधा बनाने के वादे को खोखला बताते हुए नायक ने कहा कि डीजल, बीज और खाद की बढ़ती कीमतों ने किसानों की कमर तोड़ दी है। उन्होंने खुलासा किया कि डीएपी खाद की कालाबाजारी ₹1,350 की जगह 2,000–2,500 रुपए में और 267 रुपए वाली यूरिया 450–500 रुपए में बेची जा रही है। किसान घंटों कतार में खड़े होने के बाद भी खाद नहीं पा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सोयाबीन की फसल, जो बारिश और पीला मोज़ेक बीमारी से पहले ही नष्ट हो चुकी थी, अब औने-पौने दामों में बिक रही है — जहां वादा 6,000 रुपए प्रति क्विंटल का था, किसान को मात्र 2,700–3,500 रुपए मिल रहे हैं।
नायक ने भावांतर भुगतान योजना को झूठा प्रचार बताते हुए कहा कि पंजीयन में देरी से 50% किसान त्यौहार से पहले ही अपनी फसल बेच चुके हैं, और अब योजना से वंचित रह जाएंगे।
शिवराज सिंह चौहान पर व्यंग्य करते हुए नायक ने कहा कि जब किसान भूखे हैं, तब वे अपने पुत्र की भव्य शादी और हेलीकॉप्टर से उतरने के दिखावे में व्यस्त हैं। उन्होंने कहा, जो नेता किसान की पीड़ा का मजाक उड़ाए, वह जनता की भावनाओं से दूर है।
अंत में श्री नायक ने सरकार से किसानों की फसलों का उचित मूल्य, सस्ती खाद की उपलब्धता, और समय पर राहत भुगतान की मांग की, ताकि अगले वर्ष की दीवाली खुशियों की दीवाली बन सके।