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हाई-रिस्क गर्भवती महिलाओं के लिए आशा कार्यकर्ताओं का भरोसा बना सहारा, भोपाल में 1692 महिलाओं की जांच

भोपाल । प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत 25 मार्च को आयोजित विशेष स्वास्थ्य शिविरों में 1692 गर्भवती महिलाओं की जांच की गई, जिनमें से 441 को हाई-रिस्क प्रेगनेंसी के रूप में चिन्हित किया गया। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम करने के उद्देश्य से हर माह की 9 और 25 तारीख को यह विशेष शिविर आयोजित किए जाते हैं।

गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं पर गहरा भरोसा

स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और गर्भवती महिलाओं के बीच गहरा जुड़ाव देखने को मिला, जब बागमुगलिया की एक हाई-रिस्क गर्भवती महिला ने सिर्फ अपनी आशा कार्यकर्ता के साथ ही जांच के लिए जाने का फैसला किया।

महिला का वजन कम था और पूर्व में गर्भपात हो चुका था, इसलिए उसे हाई-रिस्क कैटेगरी में रखा गया।  वार्ड क्रमांक 55 की आशा कार्यकर्ता सुमन वर्मा ने उसे जांच के लिए प्रेरित किया, लेकिन महिला किसी और के साथ जाने को तैयार नहीं हुई। आशा कार्यकर्ता ने महिला को अपने वाहन से लाकर जांच करवाई, जिससे महिला की सुरक्षा और देखभाल का भरोसा और मजबूत हुआ।

भोपाल के 66 स्वास्थ्य केंद्रों में लगा मातृत्व स्वास्थ्य शिविर

भोपाल के 66 शासकीय स्वास्थ्य संस्थानों में यह विशेष शिविर आयोजित किए गए, जिसमें कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का भी पता चला—

40 महिलाओं में एनीमिया की पुष्टि
21 महिलाओं में प्रेगनेंसी इंड्यूस्ड हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप)
28 महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज मेलिटस (गर्भकालीन मधुमेह)
अन्य 352 हाई-रिस्क प्रेगनेंसी के मामले सामने आए,  59 महिलाओं की मुफ्त सोनोग्राफी ‘ई-रूपी मॉडल’ के तहत कराई गई

मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने का प्रयास

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि हाई-रिस्क गर्भवती महिलाओं की तीन अतिरिक्त प्रसव पूर्व जांच कराई जा रही है। साथ ही, प्रसव के बाद 45 दिनों तक आशा कार्यकर्ता द्वारा नियमित गृह भेंट कर मां और शिशु की सेहत की निगरानी की जाती है।

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