
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में हुई एक अभूतपूर्व घटना के बाद मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने वाले वकील के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर 27 अक्टूबर को सुनवाई तय की गई है। अदालत ने इस मामले को गंभीर मानते हुए कहा है कि न्यायपालिका की गरिमा के खिलाफ किसी भी तरह का असम्मान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
हालांकि, दूसरी ओर कानूनी जगत में यह सवाल उठने लगा है कि जस्टिस वर्मा पर लाखों रुपये के वित्तीय लेन-देन से जुड़े गंभीर आरोपों के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। सूत्रों के अनुसार, मामले की शिकायत संबंधित प्राधिकरणों तक पहुंची होने के बावजूद, न्यायाधीश को सभी सुविधाएं और पद के लाभ पहले की तरह मिलते रहे हैं।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही तभी सुनिश्चित हो सकती है जब नियम सब पर समान रूप से लागू हों। एक ओर वकील के खिलाफ त्वरित अवमानना कार्यवाही हो रही है, वहीं दूसरी ओर जस्टिस वर्मा के मामले में जांच की धीमी प्रक्रिया न्याय व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है।
अब सबकी निगाहें 27 अक्टूबर की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां यह देखा जाएगा कि सुप्रीम कोर्ट इस घटना को न्यायिक मर्यादा के किस पैमाने पर तोलता है।





